हिंदी कहानी चमत्कारी दुर्लभ फल एक बार की बात है। सेसल नाम का एक देश था वहाँ के राजा बहुत ही दयालु और सज्जन थे। राजा की एक 5 साल की बेटी थी। जिसने एक तोता पाला हुआ था ,जो बहुत हीं समझदार था, राजा की बेटी उसे बहुत प्यार करती थी। और वह तोता भी राजा की एक बेटी के साथ प्यार से रह रहा था।
दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। जब राजकुमारी के जन्म दिन पास आने लगा तो राज महल में इसकी जोर शोर से तयारी होने लगी। सभी लोग राजकुमारी को उपहार देने के लिए अपनी अपनी चीजें की लिस्ट बनाने लगे और खरीदने की तयारी करने लगे। इसी बीच राजकुमारी ने तोते से पुछा सभी लोग मेरे जन्म दिन के लिए उपहार ले रहे हैं, तुम मुझे क्या दोगे।

इस पर तोते ने कहा मैं आप को ऐसा उपहार दूंगा जिसे कभी किसी ने नहीं दिया। यह सुनकर राजकुमारी ने कहा तुम मुझे ऐसा क्या देने वाले हो मुझे भी बताओ , तब तोते ने कह की मैं आप को दुनिया का सबसे दुर्लभ फल दूंगा जिसे खा कर आपको कभी भी किसी तरह बीमारी नहीं होगी। इस पर राजकुमारी ने कहा की ऐसा भी कोई फल होता है क्या।
इस पर तोते ने कह हाँ होता है हम पक्षी इसे ही खा कर हमेसा निरोगी रहते है,ऐसा बोलते हुए तोते ने राजकुमारी को कहा की इस फल की जानकारी मुझे मेरे पिता जी से मिली है और उन्हें उनके पिता से। लेकिन वह फल बहुत ही दुर्लभ है।
इस पर राजकुमारी ने कहा की मेरा जन्म दिन तो अगले हफ्ते ही है ,तुम वो फल कैसे लाओगे। तोते ने कहा की मैं अभी ही उस फल को लाने के लिए निकलता हूँ। ऐसा बोल कर तोता उड़ गया उस फल को लाने के लिए लगातार दो दिनों की उड़ान के बाद वह उस पेड़ तक पहुंच गया।
उसे यह देख कर अच्छा लगा की वह चमत्कारी फल पेड़ पर लगे हुए थे। उसने रहत की सांस ली और एक फल को तोड़ कर अपने पास रख लिया। क्यू की तोता लम्बी उड़ान के बाद थक चूका था इसलिए उसने रात उसी पेड़ में गुजरने का सोचा।
रात बहुत हो चुकी थी और तोता गहरी नींद में सो रहा था। तभी वहाँ एक साँप आया और उसने तोते पर हमला करने का प्रयास किया लेकिन वह चूक गया तोते ने उसे भगा दिया ,लेकिन उस साँप ने तोते पर हमले के दौरान उस फल पर अपना एक दाँत गड़ा कर कुछ जहर छोड़ दिया था। इस की जानकरी तोते को नहीं लगी और वह सुबह सुबह ही वहाँ से राजमहल की और निकल पड़ा।
जब तक वह राजमहल पहुंच राजकुमारी के जन्म दिन का उत्सव शुरू हो चूका था सभी लोग अपने अपने उपहार राजकुमारी को भेंट कर रहे थे। तोते ने भी अपने उपहार के रूप में. वह चमत्कारी फल राजकुमारी को भेंट किया। राजकुमारी ने कहा इस फल की खासियत सभी को बताओ। इस पर तोते ने बोला यह एक चमत्कारी फल है इसे खाने से राजकुमारी पर कभी भी कोई बीमारी नहीं लगेगी। और यदि पहले से कोई बीमारी है, वह इस फल को खाने पर पूरी तरह से ठीक हो जाएगी।
इस पर वह खड़े राजा के मंत्री ने तोते का मजाक उड़ाते हुए कहा की ऐसा कोई फल नहीं होता। इस पर राजकुमारी ने कहा मुझे यकीन है ,ऐसा बोलते हुए राजकुमारी ने वह फल अपने पास ले लिया। इस पर मंत्री ने राजा से कहा की पहले इस फल की जाँच करें फिर इसे खाने को दें। इस पर राजा ने फल की जाँच के लिए कहा। जाँच के दौरान उस फल में उस साँप के दवरा छोड़ा हुआ जहर मिला इस पर सभी ने तोते को बहुत बुरा भला कहा। मंत्री ने राजकुमारी को मारने की साजिस करने का आरोप लगया। लेकिन तोते ने सभी को कहा में बेकसूर हूँ।
लेकिन किसी ने उसकी बात नहीं सुनी और उसे मरने लगे। राजा ने अपने सैनिकों को आदेश दिया की इस तोते को हमारे देश की सीमा से दूर ले जाओ और यह दुबारा कभी इस देश में न आये। इस पर वह तोता दुखी हो कर वहां से दूर कहीं चला जाता है। उस फल को राजा जमीन में गाड़ने का आदेश देता है, ताकि कोई भी इस फल को न खा सके।
इस घटना के कुछ साल बाद, एक दिन राजकुमारी की तबियत ख़राब हो जाती है। और वह एक रोग से ग्रसित हो जातीं हैं। देश के सभी वैध इस बीमारी को ठीक करने में विफल होते हैं। राजा इस पर बहुत दुखी होता है। फिर एक दिन उन्हें किसी दुसरे देश में एक महान वैध का पता चलता है जो बहुत ही जानकार और प्रसिद्ध थे।
राजा के बुलाने पर वह राजकुमारी को देखने आते है। राजकुमारी के स्वास्थ का निरीक्षण कर वह बोलते है इनकी बीमारी बहुत ही दुरलभ है। इसका केवल एक ही इलाज है वह दुर्लभ चमत्कारी फल। इस पर राजा बोलता है कुछ साल पहले हमारे तोते ने ऐसे फल को राजकुमारी को भेंट दी थी लेकिन उसमें तो जहर निकला।
इस पर उस महान वैध ने कहा यदि वह मेरे द्वारा बताये फल के जैसा ही है तो हे राजा आप की बेटी बच जयेगी। इस पर राजा ने कहा ,हमने उस फल को जमीन में गाड़ दिया था ताकि कोई इसे न खा सके। इसके बाद वैध और राजा उस जगह पहुंचे।
इतने वर्षों में वह फल पेड़ बन चूका था और उसमें बहुत से फल लगे हुए थे। यह देख कर उस महान वैध को संतुष्टि हुई। उसने एक फल को तोड़ कर राजकुमारी को खाने को दिया। फल खाने के बाद राजकुमारी ठीक होने लगी और कुछ दिनों बाद वह पूरी तरह ठीक हो गई।
राजा द्वारा उस फल के बारे में पूछे जाने पर वैध ने कहा की वो तोता सही बोल रहा था। इस पर राजा ने जहर वाली बात कही तो वैध ने कहा इस फल पर किसी भी तरह का जहर काम नहीं करता। जहर को भी यह फल अमृत बना देता है। वैध की बात सुनकर राजा को उस तोते के लिए पछतावा हुआ ,इसके बाद उसने अपने सभी सैनिकों को आदेश दिया की उस तोते को ढूंढ कर सम्मान से राजमहल ले आएं। लेकिन बहुत ढूढ़ने के बाद भी वह तोता नहीं मिला।
जानवरों की भाषा जानने वाला राजा