अभिमन्यु कौन था :- अभिमन्यु, एक ऐसा नाम जो वीरता और बलिदान को दर्शाता है, भारतीय पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अर्जुन और सुभद्रा के घर जन्मे, वह एक उल्लेखनीय योद्धा और महाकाव्य महाभारत में एक प्रमुख व्यक्ति थे। आइए अभिमन्यु की मनोरम कहानी पर गौर करें और उसकी असाधारण यात्रा का पता लगाएं।
अभिमन्यु कौन था - Abhimanyu kon tha
भारतवर्ष के प्राचीन काल में कई ऐसे महानायकों ने जन्म लिया है जिनकी कहानी हमें आज भी प्रेरणा देती है। ऐसे ही महानायक अभिमन्यु वीरता और दृढ़ संकल्प के प्रतीक के रूप में जाने जाते है। उनकी कहानी वीरता, अतुल्य सहस और अटूट निष्ठा से भरी है।
अभिमन्यु कौन था |
भारतवर्ष के प्राचीन काल की ऐतिहासिक कथा महाभारत के एक महत्त्वपूर्ण पात्र अभिमन्यु पूरु कुल के राजा व पांडवों में से अर्जुन तथा यादव राजकुमारी सुभद्रा के पुत्र थे। श्री कृष्ण और बलराम जी उनके मामा और गुरु थे । विराट नरेश की पुत्री राजकुमारी उत्तरा अभिमन्यु की पत्नी थी । जिनके पुत्र परीक्षित ने संपूर्ण भारतवर्ष में चक्रवर्ती नरेश के रूप में शासन किया था ।
अभिमन्यु का जन्म -
अभिमन्यु की कहानी उसके जन्म से शुरू होती है, जो कोई सामान्य घटना नहीं थी। अभिमन्यु का जन्म अर्जुन और सुभद्रा के पुत्र के रूप में हुआ था। पांडवों के पासा का खेल हारने के बाद, द्रौपदी के साथ सभी पांडवों को 13 साल के लिए वनवास भेज दिया गया था। इस अवधि के दौरान, सुभद्रा अपने भाइयों के साथ द्वारका में रहीं, जहाँ उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों के साथ अभिमन्यु की परवरिश की।
जब अभिमन्यु अपनी माँ के गर्भ में थे तब उन्होंने गर्भ में ही चक्रव्यूह भेदन की कथा सुनी थी लेकिन उन्होंने उस कथा को पूरा नहीं सुन पाया था क्योंकि उनकी माँ सुभद्रा को इस चक्रव्यूह भेदन की कथा सुनते हुए नींद आ गई थी। और उन्हें इस बारे में पूरा ज्ञान नहीं हो पाया।अभिमन्यु को प्रद्युम्न, बलराम और कृष्ण द्वारा हथियारों और युद्ध में प्रशिक्षित किया गया था। अभिमन्यु को बलराम ने रौद्र धनुष दिया था।
प्रारंभिक वर्ष -
वीरतापूर्ण कार्य - अभिमन्यु का युद्ध
उनका पराक्रम और कौशल इतना उन्नत था की शत्रु अचंभे में पड़ गए अभिमन्यु इतने वीर थे की किसी एक शत्रु द्वारा उन्हें रोक पाना असंभव था इस लिए कई सारे शक्तिशाली योद्धाओं जिसमे गुरु द्रोण, दुर्योधन, कर्ण, दुशासन जैसे और कई अन्यों ने मिलकर एक साथ हमला किया। इस हमले में अभिमन्यु के सारे सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए।
अभिमन्यु का रथ भी नष्ट हो चुका था फिर भी वीर अभिमन्यु ने युद्ध जारी रखा और रथ के पहिए को ही शस्त्र बन अपने शत्रुओं पर टूट पड़े और अंतिम सांस तक डेट रहे। उनकी बहादुरी और कौशल बेजोड़ थे, लेकिन दुखद रूप से, उनकी संख्या कम थी और वे अपने विरोधियों की विश्वासघाती रणनीति का शिकार हो गए।
विरासत और प्रभाव -
अभिमन्यु का पुत्र कौन था
अभिमन्यु का पुत्र परीक्षित थे। राजा परीक्षित ने संपूर्ण भारतवर्ष में चक्रवर्ती नरेश के रूप में शासन किया जब परीक्षित माता के गर्भ में थे तब उन्हें मारने अश्वत्थामा ने ब्रम्हशिर अस्त्र चलाया था लेकिन श्री कृष्ण ने उन्हें गर्भ में ही बचा लिया था। परीक्षित नें ही पांडु वंश को आगे बढ़या आगे चलकर परीक्षित के घर जनमेजय का जन्म हुआ। महाभारत के अनुसार कुरुवंश के परिक्षीण होने पर जन्म होने से वे 'परीक्षित' कहलाए।