Antriksh me jane wali pahli mahila:- दोस्तों आज हम आपको अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला के बारे में जानकारी देंगे साथ ही साथ हम अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम महिला किस देश से संबंधित थी तथा यह अंतरिक्ष में कब गई कितने दिन रुकी से संबंधित सारी जानकारी देंगे।
अगर आपको हमारी यह पोस्ट अच्छी लगती है तो आप अपने दोस्तों को शेयर कीजिए। तो चलिए जानते है कि अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला कौन थी?
अंतरिक्ष में जाने वाली पहली महिला
अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम महिला वेलेंटीना टैरेशकोवा थी? 16 जून 1963 एक ऐतिहासिक दिन किसी देश के लिए नहीं बल्कि पूरी धरती के लिए गौरव का क्षण था क्योंकि इस दिन पहली बार किसी महिला ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी वेलेंटीना टैरेशकोवा एक रूसी महिला जिन्होंने वोस्तोक 6 स्पेसक्राफ्ट के जरिए धरती के गुरुत्वाकर्षण को चीरते हुए अंतरिक्ष में अपना परचम लहराया था।
यह रूढ़िवादी उन सभी पुरुषों को जवाब देना जैसा था जो महिलाओं को सिर्फ घर के चूल्हे चौके में ही सीमित रखना चाहते हैं तथा देखना चाहते हैं वेलेंटीना टैरेशकोवा ने जब उड़ान भरी तो उन्होंने घर ही नहीं बल्कि भूगोल की प्रत्येक महिलाओं को ऊपर उठने का रास्ता दिखा दिया था वेलेंटाइन तीन दिन तक स्पेस में रही तथा उनके स्पेसक्राफ्ट ने 48 बार धरती के चक्कर लगाए।
अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम महिला |
वेलेंटीना टैरेशकोवा अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम महिला
वेलेंटीना टैरेशकोवा अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम महिला का इतिहास_ वेलेंटीना एक गांव की रहने वाली महिला थी तथा उनके पिता एक एक्टर चालक थे जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मृत्यु हो गई थी वेलेंटीना ने अपनी स्कूल बीच में ही छोड़ दी थी तथा एक टेक्सटाइल कंपनी में काम करना शुरू कर दिया था।
उनकी उम्र उसे समय मैच 16 साल थी लेकिन उन्होंने कॉरेस्पोंडेंस कोर्स के जरिए अपनी पढ़ाई जारी रखी उसे छूटने नहीं दिया इस समय उनकी रुचि एक पैराशूट जंपिंग की और बड़ी और उन्होंने एक और स्पोर्ट क्लब ज्वाइन कर लिया।
टेरेस्कोवा की 18 दिन की ट्रेनिंग हुई जिसमें उनको बताया गया कि वह कैसे लंबे समय तक अंतरिक्ष में रह सकती हैं इसमें गुरुत्वाकर्षण की एक्सट्रीम ग्रेविटी से लेकर जीरो ग्रेविटी तक कीकंडीशन शामिल थी।
टेरेस्कोवा अकेले अंतरिक्ष में गई उन्होंने 70 घंटे अंतरिक्ष में बिताए तथा धरती के 48 चक्कर लगाए पूरी दुनिया उनका हंसता हुआ चेहरा टीवी पर देख रही थी लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि जल्दी ही यह उड़ान संकट में आने वाली है।
उनके स्पेसक्राफ्ट के ऑटोमेटिक सिस्टम में एक समस्या आ गई थी दरअसल वापसी के समय एक तकनीकी गड़बड़ी हुई और वह धरती से दूर जाने लगी इस गड़बड़ी का पता जैसे ही चला बेस पर मौजूद इंजीनियरों की टीम ने तुरंत लैंडिंग के लिए नए एल्गोरिदम सेट किए गए और उनकी सुरक्षित लैंडिंग करवाई गई।
टेरेस्कोवा ने महिलाओं को बताया कि उड़ान केवल घर परिवार देश में ही नहीं भरी जा सकती बल्कि पूरी पृथ्वी के ऊपर भी आप अपना नाम लिख सकती हैं गुरुत्वाकर्षण बल को चुनौती देकर आप उसे पर जीत हासिल कर सकते हैं।
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