भीमराव अंबेडकर के कितने पुत्र थे:- डॉ. भीमराव आंबेडकर का परिवार आज भी उनके विचारों और आदर्शों को महत्वपूर्ण मानता है और उनके इरादों को आगे बढ़ाने का काम कर रहा है। उनके परिवार के लोग भारतीय समाज में दलितों के अधिकारों की सुरक्षा और समाज में समानता के लिए संघर्ष करते हैं और उनके आदर्शों को आज भी जीवंत रखने का प्रयास कर रहे हैं।
भीमराव अंबेडकर के कितने पुत्र थे
डॉ. भीमराव आंबेडकर के एक ही पुत्र यशवंतराव आंबेडकर थे। उनके अन्य चार बच्चों की मृत्यु बचपन में ही हो गई थी। डॉ. आंबेडकर का परिवार काफी छोटा था, और उनका एक मात्र पुत्र, यशवंतराव आंबेडकर, भारतीय राजनीति में उनके विचारों को प्रमोट करने और अनुसरण करने का काम करते थे।
भीमराव अंबेडकर के कितने पुत्र थे |
यशवंतराव आंबेडकर ने भीमराव आंबेडकर के उपन्यासों और विचारों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके आदर्शों को प्रमोट किया। वे दलित आंदोलनों के समर्थक और नेता भी थे, और उन्होंने दलितों के समाज में समाजिक समानता की ओर कदम बढ़ाया।
भीमराव रामजी आम्बेडकर, डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। आइए जानते हैं कि अंबेडकर का परिवार कितना बड़ा था उनके बाद इस परिवार का क्या हुआ?
भीमराव आम्बेडकर, जिन्हें डॉ॰ बाबासाहेब आम्बेडकर के नाम से भी जाना हैं, के एक ही पुत्र यशवंत आंबेडकर हैं (उनके अन्य चार बच्चो की मृत्यू बचपन में ही हो गई थी)। आम्बेडकर ने दो शादियाँ की, उनकी पहली पत्नी रमाबाई आम्बेडकर तथा दुसरी पत्नी सविता आम्बेडकर थी।
अंबेडकर की पांच संतानें हुईं लेकिन यशवंत को छोड़कर अन्य चार का निधन बचपन में ही हो गया। अंबेडकर की शादी रमाबाई के साथ तब हुई थी जबकि उनकी उम्र केवल 15 साल थी, तब रमाबाई मात्र 09 साल की थीं, लंबी बीमारी के कारण 37 साल की उम्र में रमाबाई का निधन हो गया। अंबेडकर की तरक्की और उच्च शिक्षा में उनका योगदान और समर्पण खासा ज्यादा था।
सविता अंबेडकर - रमा बाई के निधन के बाद अंबेडकर जी अपना ध्यान ठीक से न रखने लगे जिसके चलते उन्हें स्वास्थ संबंधी समस्यों का सामना करना पडा। यह समस्या 40 के दशक में कुछ ज्यादा ही गंभीर हो गई और अंबेडकर की तबीयत खासी खराब रहने लगी थी। तब मुंबई में एक डॉक्टर के तौर पर सविता ने अंबेडकर को ठीक कर दिया। सविता से अंबेडकर जी ने 1948 में दूसरी शादी की।
सविता अंबेडकर का निधन मुंबई में 2003 में हुआ। अपने बाद के बरसों में वो अंबेडकर द्वारा स्थापित पार्टी रिपब्लिकन पार्टी आफ इंडिया में सक्रिय भी हुईं।
यशवंत अंबेडकर - 5 भाई बहनों में अकेले वही जिंदा रह पाए, बाकी सभी का निधन बचपन में ही हो गया । यशवंत पिता के रास्ते पर चलते रहे लंबे समय अंबेडकवादी बुद्धिस्ट आंदोलन को भी उन्होंने मजबूत किया वो बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट बने। यशवंत एक अखबार निकालते थे, जिसमें वो चीफ एडीटर थे, उन्होंने दो किताबें भी लिखीं बाद में महाराष्ट्र विधान परिषद में वो सदस्य भी बने 1977 में उनका निधन हुआ। तीन बेटे और एक बेटी।
प्रकाश अंबेडकर - इस परिवार में बाबासाहेब के बाद तीसरी पीढ़ी से हैं. वो यशवंत के सबसे बड़े बेटे हैं। महाराष्ट्र की राजनीति में उनका खासा असर रहा है। दलितों के आंदोलनों से वो जुड़े रहे हैं। वह लोकप्रिय भी हैं. सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर भी उनकी पहचान रही है। वह भारिप बहुजन महासंघ के संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं उन्होंने 2018 में वंचित बहुजन आघाड़ी की स्थापना की। वह दो बार लोकसभा में चुनकर पहुंच चुके हैं और एक बार राज्यसभा में रहे हैं प्रकाश भी कई किताबें लिख चुके हैं।
आनंदराज अंबेडकर - वो डॉ. अंबेडकर के दूसरे पोते हैं उन्होंने इंजीनियरिंग की लेकिन राजनीति में सक्रिय हैं। उन्होंने रिपब्लिकन सेना का गठन किया, वो उसके नेता हैं। आनंदराज के दो बेटे साहिल और अमन भीमराव हैं,
सुजत अंबेडकर - डॉ. अंबेडकर की चौथी पीढ़ी का प्रतिनिधित्व सुजत के साथ उनके कई कजिन करते हैं। 26 साल के सुजर इन दिनों ट्विटर पर काफी सक्रिय रहते हैं। वो जनसभाएं करते हैं, जिसमें काफी भीड़ जुटती है उनके कर्ली बाल भी उन्हें अलग ही लुक देते हैं। दलितों और वंचितों के लिए करीब तीन साल पहले उन्होंने एक वेबसाइट शुरू की, जिसमें वो उन्हें ताकत देने का काम करते हैं। प्रकाश अंबेडकर के बेटे सुजत राजनीति में पिता का साथ दे रहे हैं वैसे वो फर्गुसन कालेज से पत्रकारिता की डिग्री ले चुके हैं।