Supreme court ki sthapna kab hui:- सुप्रीम कोर्ट की स्थापना कब हुई:- सुप्रीम कोर्ट (उच्चतम न्यायालय ) एक अदालती संस्था है जो भारतीय संविधान की पारिति के अंतर्गत स्थापित हुई है। यह भारतीय न्यायपालिका का सबसे ऊचा न्यायिक संस्थान है। सुप्रीम कोर्ट का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है। यह अपनी अद्यतित न्यायिक व्यवस्था और महत्वपूर्ण निर्णयों के लिए प्रसिद्ध है।
सुप्रीम कोर्ट को आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक मामलों में अंतिम अधिकार दिया गया है। यह उच्चतम न्यायिक संस्था के तौर पर काम करता है और अन्य न्यायिक संस्थाओं की याचिकाएं एकत्रित करने और निर्णय देने का भी कार्य करता है।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं और वे अपने पद के लिए आयोग के माध्यम से चयनित होते हैं। आज हम बात करेंगे की सुप्रीम कोर्ट की स्थापना कब हुई। तो चलिए जानते है
सुप्रीम कोर्ट की स्थापना कब हुई
भारत में सुप्रीम कोर्ट की घोषणा 26 जनवरी 1950 को संविधान से मंजूरी मिलने के बाद की गई थे। और फिर सुप्रीम कोर्ट की स्थापना भारतीय संविधान के अंतर्गत 28 जनवरी 1950 को हुई। यह देश की सर्वोच्च न्यायिक संस्था होती है और इसका मुख्य कार्य भारतीय संविधान को अनुपालन करना होता है, विवादों का निर्णय देना और न्यायिक मामलों का निपटान करना।
सुप्रीम कोर्ट की स्थापना कब हुई |
सुप्रीम कोर्ट का इतिहास अंग्रेज कालीन है भारतीय सुप्रीम कोर्ट को पहले फेडरल कोर्ट ऑफ इंडिया कहा जाता था जिसे 1 अक्टूबर 1937 में स्थापित किया गया था। लेकिन आजादी मिलने के बाद भारतीय गणतंत्र की घोषणा के दो दिन बाद 28 जनवरी 1950 को आज का सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आया।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की नियुक्ति कौन करता है
भारत के राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति करते है। इस नियक्ति में सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के परामर्श का भी योगदान लिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश
माननीय न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय वाई चंद्रचूड़, भारत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश है।
डॉ. धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने नई दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में अर्थशास्त्र में ऑनर्स के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की एवं विधि परास्नातक तथा एस.जे.डी. की उपाधि हार्वर्ड विधि स्कूल, संयुक्त राज्य अमेरिका से प्राप्त की।
बार काउंसिल, महाराष्ट्र में पंजीकृत होकर मुख्यतः बॉम्बे उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष वकालत किये। सन् 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नामित हुए।
मुंबई विश्वविद्यालय में तुलनात्मक संवैधानिक विधि के अतिथि प्राध्यापक रहे। ओकलाहोमा विश्वविद्यालय स्कूल ऑफ लॉ, संयुक्त राज्य अमेरिका के भी अतिथि प्राध्यापक रहे।
ऑस्ट्रेलिया राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, हार्वर्ड विधि स्कूल, येल विधि स्कूल और विटवाटर्सरैंड विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्रीका में आप द्वारा व्याख्यान दिए गए। संयुक्त राष्ट्र के संभागों, यथा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के उच्च आयोग, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम, विश्व बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक द्वारा आयोजित सम्मेलनों में वक्ता के रूप में रहे।
29 मार्च, 2000 को बॉम्बे उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति के रूप में उन्नयन हुआ। महाराष्ट्र न्यायिक अकादमी के निदेशक भी रहे। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के रूप में 31 अक्टूबर, 2013 में शपथ ली।
इनका 13 मई, 2016 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में उन्नयन हुआ। और 9 नवंबर, 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।