सफेद मूसली (safed musli) एक ऐसी शक्तिवर्धक जड़ी-बूटी है सफेद मूसली के फायदे (safed musli ke fayde) गठिया, डायबिटीज, यूटीआई आदि बीमारियों को दूर करने में भी उपयोगी है।
सफेद मूसली का उपयोग आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति में प्रमुखता से किया जाता है।
सफेद मूसली (safed musli in hindi) आमतौर पर बरसात के मौसमों में जंगलों में अपने आप उगती है लेकिन इसकी उपयोगिता को देखते हुए अब पूरे देश में सफेद मूसली की खेती की जाती है।
इसके औषधीय गुणों को देखते हुए अब बाज़ार में सफेद मूसली के पाउडर और कैप्सूल भी मिलने लगे हैं।
सफेद मूसली क्या है ?
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मूसली एक औसधी के रूप में जानी जाती है। मूसली के फूलों का रंग सफ़ेद होता है। इसलिए इसे सफ़ेद मूसली कहा जाता है।
वैसे तो यह जगलों में बारिश के मौसम में अपने आप ही उग जाती है, किन्तु इसके इतने चमत्कारिक फायदे होने की वजह से इसकी पुरे देश में खेती की जाने लगी है। मूसली के पौधे की लम्बाई 40 से 50 सेंटीमीटर तक होती है।
सफेद मूसली में पाए जाने वाले पोषक तत्व
आयुर्वेद के अनुसार सफेद मूसली (safed musli) की जड़ें सबसे ज्यादा गुणकारी होती हैं। ये जड़ें विटामिन और खनिजों का भंडार हैं।
सफेद मूसली की जड़ों के अलावा इनके बीजों का इस्तेमाल भी प्रमुखता से किया जाता है। इन जड़ों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, सैपोनिंस जैसे पोषक तत्व और कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम आदि खनिज प्रमुखता से पाए जाते हैं।
सफेद मूसली के औषधीय गुण
सफेद मूसली का ईस्तेमाल कई रोगों जैसे मधुमेह, आर्थराइटिस, नपुंसकता आदि में भी किया जाता है। यदि कोई शारीरिक कमजोरी से जूझ रहा रहा है तो सफेद मूसली ऐसे लोगों के लिए बहुत लाभकारी है।
सफेद मूसली में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो यौवन शक्ति से जुडी गतिविधि बढ़ाते है और टेस्टोस्टेरोन का स्तर भी बढ़ाता है।
सफेद मूसली के फायदे | safed musli ke fayde
विभिन्न तरह की छोटी से बड़ी बिमारियों में यह किसी रामबाण से कम नहीं है इसके अद्भुत फायदे क्या है जानते है आगे सफेद मूसली के फायदे हिंदी में।
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शीघ्रपतन रोकने में उपयोगी :खराब जीवनशैली और खानपान की वजह से अधिकांश लोग शीघ्रपतन की समस्या से ग्रसित रहते हैं। कई लोग संकोच के कारण डॉक्टर के पास भी नहीं जाते हैं
और इंटरनेट पर शीघ्रपतन रोकने के उपाय खोजते रहते हैं। ऐसे लोगों के लिए सफेद मूसली (safed musli) एक कारगर औषधि है। इसे आप शीघ्रपतन की दवा के रुप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
इम्युनिटी बढ़ाए:- इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जिससे शरीर को बिमारियों से लड़ने में ताकत मिलती है। इम्युनिटी पावर बढ़ाने के लिए सफेद मूसली का सेवन करना लाभकारी होता है। सर्दी-जुकाम और संक्रामक बीमारियों से यह शरीर की रक्षा करती है।
पेशाब की जलन :- अगर आपको पेशाब में जलन बनी रहती है। तो सफेद मूसली की जड़ इसमें फायदा पहुँचाती है। सफेद मूसली की जड़ को पीस कर इलायची के साथ दूध में उबालकर सेवन करें इससे आपको फायदा होगा।शिलाजीत के फायदे हिंदी
ब्रेस्टमिल्क को बढ़ाएं :- माताओं को स्तनों में दूध वृद्धि करने के लिए बढ़ाने के लिए सफेद मूसली का प्रयोग करना चाहिए। २ से ४ ग्राम सफेद मूसली चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिला लें। दूध के साथ इसे पिएं आपको इसका लाभ देखने को मिलेगा।
बॉडी बिल्डिंग :- शरीर की ताकत बढ़ाना, सफेद मूसली के प्रमुख फायदों (safed musli ke fayde in hindi) में शामिल है। यही वजह है कि आज के समय में अधिकांश जिम जाने वाले लड़के बॉडी बिल्डिंग के लिए सफेद मूसली को सप्लीमेंट की तरह इस्तेमाल करते हैं।
अगर आप भी शारीरिक रुप से कमजोर हैं और कुछ मेहनत का काम करने पर जल्दी ही थक जाते है। ऐसे में आप सफेद मूसली का सेवन करें यह आपके लिए लाभप्रद होगा।
स्पर्म क्वालिटी बढ़ाए :- सफेद मूसली से शुक्राणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। सफेद मूसली का सेवन करना स्पर्म की गुणवत्ता में सुधार लाता है।
कमजोरी दूर होती है :- शारीरिक ऊर्जा को बढ़ाने में सफ़ेद मूसली लाभदायक होती है। बहुत सी तरह की ताकत की दवाएं बनाने में सफेद मूसली प्रयोग की जाती है।
गठिया के दर्द में फायदा :- सफेद मूसली के कंद को लगाने और इसके चूर्ण का सेवन करने से गठिया के दर्द में रहत मिलती है। सफेद मूसली गठिया के लिए बहुत लाभकारी होता है।
आर्थराइटिस में फायदेमंद :- उम्र बढ़ने के साथ साथ हड्डियों और जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है। अपने देश में अधिकांश बुजुर्ग आर्थराइटिस की समस्या से पीड़ित रहते हैं।
सफेद मूसली के सेवन से आर्थराइटिस में होने वाले जोड़ों के दर्द और सूजन से आराम मिलता है।
नपुंसकता से बचाव :- सफेद मूसली से वीर्य का उत्पादन होता है यह नपुंसकता, शीघ्रपतन को दूर कर वीर्य की गुणवत्ता को सुधारती है। इसके नियमित सेवन से नपुंसकता का खतरा कम हो जाता है। गाय के दूध में एक से डेढ़ चम्मच मूसली पाक मिलाकर दिन में दो बार पिएं।
इरेक्टाइल डिसफंक्शन :- लिंग में उत्तेजना या तनाव की कमी होना इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या कहलाती है। स्ट्रेस, डिप्रेशन या किसी दीर्घकालिक बीमारी की वजह से यह समस्या किसी को भी हो सकती है। सफेद मूसली यह समस्या साथ ही इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या को भी ठीक करने में मदद करती है।
खुराक और सेवन की विधि : सफेद मूसली के कैप्सूल आज कल बाज़ार में आसानी से उपलब्ध हैं। 1-1 कैप्सूल सुबह शाम पानी या दूध के साथ सेवन करें।
सफ़ेद मूसली के उपयोग
सफेद मुसली के इतने फायदे होने की वजह से सफेद मुसली के बहुत से उपयोग हैं। जानते है सफ़ेद मूसली के उपयोग।
आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी के साथ ही चिकित्सा की बहुत सी प्रणालियों में भारत की इस दुर्लभ जड़ी बूटी सफ़ेद मुसली का उपयोग किया जाता है।
यह गठिया, मधुमेह, कैंसर को ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है। यौन संबंधी बीमारी में सुधार और अन्य उपयोगों के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर यह औषधि पुरुषों में प्रयोग की जाती है पुरुषों को इसके बहुत से फायदे प्राप्त होते है।
इसके अंकुर में पाया जाने वाला सैपोनिन एक प्राकृतिक रासायनिक यौगिक है। जो कामोत्तेजक, बुढ़ापा रोधी, स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाला होता है जड़ों में पाए जाने वाला स्टेरायडल और ट्राइटरपेनोइड सैपोनिन-रासायनिक यौगिक चिकित्सीय स्थानों में प्रयोग किये जाते है।
सफेद मूसली खाने की विधि
सफेद मूसली के फायदे (safed musli ke fayde) के बारे में जानकारियां तो आसानी से उपलब्ध हैं लेकिन सफेद मूसली खाने की विधि के बारे में ज्यादा जानकारी इंटरनेट पर मौजूद नहीं है। अधिकांश लोग यह जानना चाहते हैं कि सफेद मूसली कैसे खाएं?
इस बात का ध्यान रखें कि सेवन से पहले सफेद मूसली की खुराक (safed musli dosage) के बारे में जानना बेहद ज़रुरी है क्योंकि गलत या ज्यादा खुराक का सेवन नुकसानदायक हो सकता है।
बेहतर होगा कि किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही सफेद मूसली (safed musli) का सेवन करें। आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में सफेद मूसली के सेवन के लिए मुख्य रुप से मूसली चूर्ण या मूसली पाउडर और मूसली पाक का इस्तेमाल किया जाता है। सामान्य रुप से सफेद मूसली को दूध के साथ खाने की सलाह दी जाती है।
आमतौर पर सफेद मूसली की सामान्य खुराक निम्नलिखित है:
=> सफेद मूसली चूर्ण : 1-2 ग्राम दिन में दो बार
=> सफेद मूसली कैप्सूल : 1-2 कैप्सूल दिन में दो बार
=> मूसली पाक : आधा-आधा चम्मच दिन में दो बार
हालांकि इसकी खुराक व्यक्ति की उम्र, लिंग और रोग के आधार पर तय की जाती है इसलिए चिकित्सक द्वारा निर्धारित खुराक के अनुसार ही सेवन करें।
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