पौरुष ग्रंथि, जिसे अंग्रेजी में "Prostate Gland" कहा जाता है, पुरुषों के प्रजनन तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह ग्रंथि केवल पुरुषों में पाई जाती है और इसकी संरचना, कार्य और स्वास्थ्य से संबंधित कई महत्वपूर्ण पहलू हैं। इस लेख में हम पौरुष ग्रंथि की anatomica, कार्य, स्वास्थ्य समस्याएं और उनके उपचार के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
पौरुष ग्रंथि क्या है?
पौरुष ग्रंथि एक छोटी और नट के आकार की ग्रंथि होती है जो मूत्राशय के नीचे और पुरुषों की यौन अंगों के चारों ओर स्थित होती है। इसका वजन लगभग 20 ग्राम होता है। यह ग्रंथि मूत्रमार्ग (urethra) के चारों ओर स्थित होती है, जो मूत्राशय से मूत्र को बाहर निकालने में मदद करती है। पौरुष ग्रंथि का मुख्य कार्य शुक्राणुओं के उत्पादन में सहायक तरल पदार्थ का निर्माण करना है, जिसे सीमन (semen) कहा जाता है।
Prostate Gland in hindi |
पौरुष ग्रंथि का कार्य
पौरुष ग्रंथि का प्रमुख कार्य निम्नलिखित है:
सीमन का निर्माण: पौरुष ग्रंथि सीमन के तरल भाग का लगभग 30% बनाने में योगदान देती है। यह तरल शुक्राणुओं को पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है।
हॉर्मोन निर्माण: पौरुष ग्रंथि पुरुषों के हार्मोन, विशेषकर टेस्टोस्टेरोन के उत्पादन में भी सहायक होती है, जो कि यौन स्वास्थ्य और प्रजनन के लिए जरूरी है।
मूत्राशय का नियंत्रण: पौरुष ग्रंथि मूत्रमार्ग के चारों ओर होने के कारण मूत्र प्रवाह पर नियंत्रण भी रखती है। यह ग्रंथि यौन उत्तेजना के दौरान मूत्र प्रवाह को रोकने में सहायता करती है।
पौरुष ग्रंथि से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं
पौरुष ग्रंथि से संबंधित कुछ प्रमुख स्वास्थ्य समस्याएं निम्नलिखित हैं:
पौरुष ग्रंथि का बृहत् होना (Benign Prostatic Hyperplasia – BPH): यह एक सामान्य अवस्था है जिसमें ग्रंथि का आकार बढ़ता है, जिससे मूत्र प्रवाह में कठिनाई होती है। यह ज्यादातर आयु के साथ बढ़ती है।
प्रोस्टेट कैंसर: पौरुष ग्रंथि में कैंसर एक गंभीर समस्या है। यह मर्दों में आमतौर पर दूसरी सबसे अधिक पाए जाने वाली कैंसर होती है। प्रारंभिक निदान और उपचार से इसे प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।
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प्रोस्टेटाइटिस: यह एक सूजन है जो पौरुष ग्रंथि में होती है। यह संक्रमण या अन्य कारणों से हो सकता है और इसके लक्षणों में दर्द, बुखार और पेशाब में कठिनाई शामिल हो सकते हैं।
प्रोस्टेट ग्रंथि बढ़ क्यों जाती है और इसका इलाज क्या है?
प्रोस्टेट ग्रंथि, पुरुषों के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह ग्रंथि मूत्राशय के नीचे स्थित होती है और यह शुक्राणुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तरल पदार्थ का निर्माण करती है जो कि वीर्य का हिस्सा होता है। लेकिन समय के साथ, कई पुरुषों को प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है, जिसे प्रोस्टेटोमेगली या बीपीएच (Benign Prostatic Hyperplasia) कहा जाता है। इस लेख में, हम समझेंगे कि प्रोस्टेट ग्रंथि क्यों बढ़ती है और इसके इलाज के विकल्प क्या हैं।
इलाज:- इसका इलाज सर्जरी द्वारा किया जाता है। लेकिन आप ऐसी नौबत आने ही न दें पौरुष ग्रंथि की समस्याओं से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ और उपचार आप खुद भी कर सकते है।
पौरुष ग्रंथि का स्वास्थ्य: सावधानियाँ और उपचार
पौरुष ग्रंथि की समस्याओं से बचने के लिए कुछ सावधानियाँ और उपचार की विधियाँ निम्नलिखित हैं:
नियमित चिकित्सा जांच: 40 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को नियमित रूप से पौरुष ग्रंथि की जांच करानी चाहिए। यह प्रोस्टेट एस्पेसिमेंट (PSA) टेस्ट के माध्यम से किया जा सकता है।
संतुलित आहार: हरी सब्जियाँ, फल, नट्स और साबुत अनाज का सेवन करने से पौरुष ग्रंथि का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है। इसके अलावा, वसा और शर्करा के सेवन को कम करना भी फायदेमंद है।
व्यायाम: नियमित शारीरिक व्यायाम से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है और पौरुष ग्रंथि की सेहत के लिए लाभकारी होता है।
मसाज: कुछ चिकित्सक पौरुष ग्रंथि की सेहत के लिए मालिश की सलाह देते हैं, लेकिन यह एक चिकित्सा पेशेवर द्वारा ही करना चाहिए।
इस्ट्रक्शन और दवाएं: आपकी स्थिति के आधार पर, डॉक्टर आवश्यक दवाएँ या इस्ट्रक्शन प्रदान कर सकते हैं। प्रीस्क्रिप्शन दवाओं का उपयोग BPH और प्रोस्टेटाइटिस के इलाज में किया जा सकता है।
निष्कर्ष
पौरुष ग्रंथि पुरुषों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसकी सेहत का ध्यान रखना न केवल प्रजनन के लिए, बल्कि सामान्य स्वास्थ्य के लिए भी आवश्यक है। इसके विभिन्न रोगों से अवगत रहना और समय पर चिकित्सा सहायता लेना अत्यंत आवश्यक है। उचित आहार, नियमित व्यायाम और चिकित्सकीय जांच के माध्यम से हम अपनी पौरुष ग्रंथि की सेहत को बनाए रख सकते हैं।
महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए, पौरुष ग्रंथि के स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। यह न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य का मामला है, बल्कि यह परिवार और समाज के समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। अपनी और दूसरों की भलाई के लिए, इस महत्वपूर्ण अंग की सेहत को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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