"देख रहा है बिनोद"(Dekh Raha Hai Na Binod) एक लोकप्रिय वाक्यांश बन गया है पंचायत वेबसिरीज का यह एक डायलॉग जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विशेष रूप से इंटरनेट मीम्स के रूप में उभरा है। "देख रहा है न बिनोद" यह वाक्यांश एक मजेदार और हल्के-फुल्के संदर्भ में इस्तेमाल किया जाता है, अक्सर तब जब किसी व्यक्ति या समूह को किसी मजेदार या अजीब स्थिति का सामना करना पड़ता है।
"देख रहा है न बिनोद" जिस तरीके से बोला गया इसमें पंचायत वेबसरीज के एक पात्र बिनोद को कुछ दिखाते हुए उसके साथी भूषण (‘बनराकस’) ने मजाकिया तरीके से 'बिनोद' नामक पात्र को उल्लेख किया। धीरे-धीरे, यह वाक्यांश एक कल्चरल फेनोमेनन बन गया और इसे विभिन्न प्रकार के कंटेंट में शामिल किया जाने लगा। युवा पीढ़ी के बीच इसका इस्तेमाल किसी स्थिति को और मजेदार बनाने या हंसी-मजाक के लिए किया जाता है, जिससे यह शब्दावली अब सामाजिक बातचीत का एक अनिवार्य हिस्सा बन गई है।
Dekh Raha Hai Na Binod Panchayat Web Series |
पंचायत वेब सीरीज़ का हर एक किरदार वैसे तो पहले से ही मशहूर है, चाहे हो ‘सचिव जी’ हों या फिर ‘बिकाश’. लेकिन सीज़न अब तक ‘प्रधान जी की लौकी’ से लेकर ‘बिनोद और ‘बनराकाश’ ने सोशल मीडिया पर कोहराम मचा रखा है। ख़ासकर इसके डायलॉग्स ने, Dekh Raha Hai Na Binod
वैसे प्रधान जी का "हये ससुर" ये डायलॉग भी काफी फेमस हुआ है।
फेमस वेबसीरीज़ पंचायत (Panchayat) का तीसरा सीज़न आ चुका है और आते ही "देख रहा है बिनोद" वाला डायलाग और बिनोद का कैरेक्टर फिर से चर्चाओं में आ गया है। पंचायत में बिनोद के इस कैरेक्टर को निभाते हैं अशोक पाठक। आज सभी उनके इस किरदार को प्यार करते हैं और उनकी अदायगी की तारीफ भी करते हैं। लेकिन उनकी सफलता का ये सफ़र कई संघर्षों से भरा है।
चलिए जानते हैं, कैसे अशोक पाठक ने एक रुई बेचने वाले से लेकर कांस फिल्म फेस्टिवल तक का सफ़र तय किया।
कौन है पंचायत वेबसीरीज़ के बिनोद, अशोक पाठक?
अशोक पाठक बिहार के सिवान जिले से हैं, उनके परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही बहुत अच्छी नहीं थी। उनके चाचा रूई बेचने का काम किया करते थे, परिवार को मदद करने के लिए अशोक ने भी अपने चाचा के साथ रूई बेचने का काम शुरू कर दिया। साइकिल पर रूई का गट्ठर रखके वो दूर दराज तक उसे बेचने के लिए जाते थे, इससे वो एक दिन में करीब 100 रुपए की कमाई कर लिया करते थे।
हरियाणा के हिसार आकर बदली अशोक की किस्मत
नए काम और अच्छे भविष्य की तलाश में अशोक का परिवार हरियाणा के हिसार में जाकर बस गया। यही वो जगह थी जहां से अशोक के सपनों को सच करने की कहानी शुरू हुई। जैसे-तैसे बारहवीं तक की पढ़ाई कर लेने के बाद उन्होंने कॉलेज में एडमिशन लिया, जहां से उनके ट्रांसफॉर्मेशन का सिलसिला शुरू हुआ। कॉलेज टाइम में ही अशोक ने थिएटर में हिस्सा लेना शुरू कर दिया और यहीं से उनका बॉलीवुड में एक्टिंग करने का सपना शुरू हुआ।
लेकिन जब भी वो अपने इस सपने के बारे में किसी को बताते थे तो हमेशा ही उनकी बात को मज़ाक समझा जाता था। सबका कहना था कि उनका चेहरा और कद-काठी एक बॉलीवुड एक्टर के जैसे नहीं है तो वो कैसे एक बॉलीवुड एक्टर बन सकते हैं। अशोक को खुद भी यही लगता था, लेकिन उन्होंने अपने सपने को ऐसे ही बीच में नहीं छोड़ा और खुद से कहते रहे कि ‘कुछ न कुछ तो हो ही जायेगा’।
अपने सपने की ओर आगे बढ़ते हुए अशोक को एक कॉलेज फेस्टिवल करवाने के लिए 40,000 रुपए मिले थे ये पैसे मिलते ही वो मुंबई की ओर निकल पड़े। किस्मत ने भी उनका साथ दिया और मुंबई पहुंचते ही कई सारे ऑडिशन उन्होंने पास किए और उन्हें काम मिलना शुरू हो गया। एक ही महीने के अंदर उन्होंने करीब एक लाख रूपये से ज्यादा कमा लिए थे।
तय किया सिवान से कांस फिल्म फेस्टिवल तक का सफर
अभी कुछ समय पहले ही अशोक अपनी फिल्म “मिडनाइट सिस्टर्स” के लिए कांस फिल्म फेस्टिवल में गए। इस फिल्म में राधिका आप्टे उनके साथ लीड रोल में नज़र आई। 2024 के कांस फेस्टिवल के “Directors Fortnight” में उनकी इस फिल्म को प्रीमियर भी किया गया, जिसे 10 मिनिट का स्टैंडिंग ओवेशन मिला। राधिका आप्टे के साथ साथ अशोक पाठक की एक्टिंग की भी जमकर तारीफ हुई।
अशोक को जब पंचायत वेबसीरीज़ में काम करने का मौका मिला तब वो पहले इस प्रोजेक्ट को लेकर बहुत कंफ्यूज थे, लेकिन एक दोस्त के कहने पर उन्होंने ‘बिनोद’ के रोल के लिए हां कह दिया। आज वही किरदार लोगों के दिलों में अपना घर बनाकर, सोशल मीडिया पर हर तरफ वायरल हो रहा है।