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समास किसे कहते हैं? | samas kise kahte hai

समास किसे कहते हैं -  भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि यह साहित्य, संस्कृति और विचारों का भी अगाध स्रोत है। हिंदी भाषा में एक विशेषता है, जिसका नाम है 'समास'। 

समास का अर्थ होता है 'संक्षेप या संक्षिप्त रूप'। यह एक महत्वपूर्ण शब्द रचना प्रक्रिया है जो शब्दों को जोड़कर नए अर्थ का निर्माण करती है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम समास के बारे में विस्तार से जानेंगे, इसके प्रकार, उदाहरण, और इसके महत्व पर भी प्रकाश डालेंगे।


 समास का परिचय

समास एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘संक्षेप’ या ‘गठबंधन’। जब दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर एक नया शब्द बनाया जाता है, तो उसे समास कहते हैं। हिंदी में समास का उपयोग शब्दों को संक्षिप्त और अर्थपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। यह न केवल भाषा की संक्षिप्तता में मदद करता है बल्कि इसका प्रभाव भी बढ़ाता है।

समास किसे कहते हैं?
समास किसे कहते हैं? 

समास शब्दों के बीच के संबंध को स्पष्ट करता है। उदाहरण के लिए, ‘कमल’ और ‘दल’ के समास को देखें—जब आप दोनों को मिलाते हैं, तो 'कमलदल' का निर्माण होता है, जिसका अर्थ होता है 'कमल के पत्ते'। इस प्रकार समास केवल शब्दों का जोड़ने का कार्य नहीं करता, बल्कि वह नये अर्थों का निर्माण भी करता है।


समास के कितने भेद होते हैं?

अव्ययी भाव समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, द्विगु समास, द्वन्द्व समास और बहुव्रीहि समास यह समास के ६ भेद हैं। जब दो या दो से अधिक शब्दों के बीच में से विभक्ति हटाकर उन्हें मिलाया जाता है, तो उस मेल को समास कहते हैं। समास शब्द ‘सम्’ और ‘अस्’ शब्दों से मिलकर बना है, जहाँ ‘सम्’ का अर्थ समीप और ‘अस्’ का अर्थ बैठना है।


समास मुख्यतः छः प्रकार के होते हैं:


1. **अव्ययीभाव समास**: 

   अव्ययीभाव समास में पहला शब्द अव्यय (जिसका कोई लिंग, विभक्ति या काल नहीं होता) और दूसरा शब्द संज्ञा होता है। उदाहरण के लिए:

   - 'नित्य' + 'कर्म' = 'नित्यकर्म' (जिसका अर्थ है 'प्रतिदिन किया जाने वाला कार्य')।

   - 'सर्व' + 'नारी' = 'सर्वनारी' (जिसका अर्थ है 'सभी महिलाएं')।


2. **द्वंद्व समास**: 

   इस समास में दो शब्द समान महत्व के होते हैं और दोनों का समान रूप से प्रयोग होता है। उदाहरण के लिए:

   - 'राम' + 'सीता' = 'रामसीता' (जिसका अर्थ है 'राम और सीता')।

   - 'गण' + 'समिती' = 'गणसमिति' (जिसका अर्थ है 'गणों की समिति')।


3. **तत्पुरुष समास**: 

   इस प्रकार में पहला शब्द किसी विशेषण या विशेषण के रूप में कार्य करता है, और दूसरा शब्द संज्ञा के रूप में होता है। उदाहरण के लिए:

   - 'राजा' + 'कुमार' = 'राजकुमार' (जिसका अर्थ है 'राजा का बेटा')।

   - 'घर' + 'का' = 'घरका' (जिसका अर्थ है 'घरतले')।


4. **कर्मधारय समास**: 

   इसमें पहला शब्द विशेषण और दूसरा शब्द संज्ञा होता है, जिनका संयोजन विशेषण के रूप में होता है। उदाहरण के लिए:

   - 'नीला' + 'आसमान' = 'नीलाशमान' (जिसका अर्थ है 'नीला आसमान')।

   - 'सूर्य' + 'किरण' = 'सूर्यकिरण' (जिसका अर्थ है 'सूर्य की किरण')।


5 . द्विगु समास – द्विगु समास वह होता है जिसके उपसर्ग के रूप में संख्या विशेषण होता है। यह एक संग्रह या कुल का सुझाव देता है। द्विगु समास का उदाहरण है शताब्दी, अठन्नी आदि।


6. बहुव्रीहि समास – बहुव्रीहि समास वह है जिसमें दोनों पद गैर-प्रमुख होते हैं, और एक प्रतीकात्मक अर्थ पूरे वाक्यांश के अर्थ से अलग होता है। बहुव्रीहि समास का उदाहरण गजानन, पंकज आदि।


समास का महत्व

समास का उपयोग भाषा को संक्षेप और प्रभावी बनाने के लिए किया जाता है। यह न केवल शब्दों को जोड़ता है, बल्कि नए अर्थों का निर्माण भी करता है। समास के माध्यम से भाषा में परिवर्तन और विकास संभव होता है। यह कवियों, लेखकों और भाषाई विशेषज्ञों को अपने विचारों को संक्षेप में प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करता है। 


उदाहरण के रूप में, दार्शनिक और काव्यात्मक विचारों को समास द्वारा संक्षिप्त और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है। जैसे कि 'ज्ञान' + 'योग' = 'ज्ञानयोग' का प्रयोग हमें ज्ञान और योग के मेल का महत्व बताने में मदद करता है।


 निष्कर्ष

समास हिंदी भाषा का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो न केवल शब्दों को संक्षेप में प्रस्तुत करता है बल्कि नए और अर्थपूर्ण विचारों का निर्माण भी करता है। यह शब्दों के बीच संबंध स्थापित करता है और भाषा की सुंदरता को बढ़ाता है। समझदारी से समास का उपयोग करने से हम अपनी विचारधारा को सटीकता और संक्षेप में व्यक्त कर सकते हैं। इस प्रकार, समास न केवल भाषा की संरचना का हिस्सा है, बल्कि यह हमारी संप्रेषणीयता को भी सशक्त बनाता है।


उम्मीद है कि यह पोस्ट समास के महत्व और उपयोग को समझने में मददगार साबित होगी। भाषा की इस अनूठी विशेषता को अपने लेखन और संवाद में शामिल करके हम हिंदी को और भी समृद्ध बना सकते हैं।