advocate kaise bane: भारत मे कानून प्रक्रिया संबंधी करियर के विभिन्न विकल्प मौजूद होते है, पर आम तौर पर हम सबका जाना पहचाना कानुन से जुडा पेशा होता है एडवोकेट (Advocate)। इसका मुख्य कारण ये भी होता है के जब भी हमे किसी कानूनी दिक्कतो का सामना करना होता है तब इसी पेशे पर कार्य करने वाले व्यक्ती हमे सही परामर्श देते है।
वैसे तो एडवोकेट के अलग अलग प्रकार होते है, जिसमे कार्यक्षेत्र अनुसार हम इन्हे अलग मानते है पर अंततः ये सभी कानून प्रक्रिया का हिस्सा होते है। आप मे से कुछ लोगो को अगर एक एडवोकेट के रूप मे करियर बनाना है तो इस से जुडे शिक्षा और भविष्य मे इस क्षेत्र से जुडे कार्यक्षेत्र और रोजगार संबंधी जानकारी होना बहुत आवश्यक बन जाता है।
यहाँ इस लेख के माध्यम से हम आप सभी को एडवोकेट के लिये आवश्यक शिक्षा, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र मे इस पेशे से जुडे रोजगार के विकल्प, एडवोकेट के प्रकार, आवश्यक पात्रताए आदि महत्वपूर्ण पह्लूओ पर जानकारी देनेवाले है। हमे विश्वास है के इस जानकारी को पढने के बाद आपके मन मे बसे इस विषय से जुडे शंकाओ का समाधान होगा, और भविष्य मे आपको इसका मार्गदर्शन के तौर पर लाभ होगा।
advocate kaise bane
आम तौर पर लोगो के जहन मे वकील शब्द होता, जिसमे इस पेशे से संबंधित व्यक्ती की कानून से जुडो मामलो पर अक्सर मदद ली जाती है।
पर आपको बता दे एडवोकेट वो व्यक्ती होता है, जिसने कानून की शिक्षा मे न्यूनतम स्नातक की डिग्री को उत्तीर्ण किया हुआ रहता है। तथा इस प्रकार की शिक्षा प्राप्त व्यक्ती कोर्ट मे अपने मुवक्कील के तरफ से पक्ष रखता है तथा उसे न्याय दिलाने हेतू कानूनी पैतरो का इस्तेमाल करता है।
यहाँ पर मुख्य तौर पर एडवोकेट और लॉयर शब्द का एक ही अर्थ होता है, जिसका हिंदी अनुवाद वकील होता है। आपको यहाँ इतना समझना आवश्यक है के भलेही इन दोनो शब्दो का हिंदी मे अर्थ एक जैसा होता है पर कुछ बुनियादी फर्क एडवोकेट और लॉयर मे होता है।
जिसके अनुसार एडवोकेट व्यक्ती १९६१ के एडवोकेट कानून के अंतर्गत आता है, जिसे किसी भी स्थिती मे अपने मुवक्कील का पक्ष रखने हेतू कोर्ट मे प्रवेश करने की अनुमती होती है, कुछ स्थिती मे लॉयर व्यक्ती पर ऐसा करने पर प्रतिबंध होता है।
आगे जब हम एडवोकेट और लॉयर के बिच बुनियादी अंतर के उपर विस्तार से चर्चा करेंगे तब इस विषय को समझने मे आपको और अधिक आसानी होगी।
एडवोकेट बनने के लिए पात्रता
किसी भी व्यक्ती को अगर एडवोकेट के रूप मे करियर बनाना हो तो पात्रता से संबंधित कुछ मानदंडो को पुरा करना आवश्यक बन जाता है, जिस पर हम यहाँ चर्चा करने वाले है। इसमे शामिल पात्रता मानदंड निम्नलिखित तौर पर दिये गये है जो के इस प्रकार से होते है –
इच्छुक उम्मिद्वार ने किसी भी शिक्षा धारा से न्यूनतम स्नातक/बैचलर डिग्री की शिक्षा उत्तीर्ण करना यहाँ पर आवश्यक होता है, तथा साथमे कानून शिक्षा की एल.एल.बी डिग्री को उसके पश्चात उत्तीर्ण करना भी अनिवार्य होता है।
जिन छात्रो को कक्षा १२ वी के बाद कानून संबंधी शिक्षा प्राप्त कर इस क्षेत्र मे आगे करियर बनाना होता है उनके लिये इंटिग्रेटेड कोर्स का विकल्प मौजूद होता है। जिसमे बी.ए एल.एल.बी (B.A LLB), बी.एस.सी एल.एल.बी (B.Sc LLB), बी.कॉम एल.एल.बी (B.Com LLB) आदि विकल्प दिये हुये रहते है तो इनमे से किसी भी एक शिक्षा विकल्प को पुरा करना यहाँ पर अनिवार्य होता है।
भारत के विभिन्न युनिवर्सिटीयो मे कानून की शिक्षा विभाग अंतर्गत पात्रता परीक्षा सी.एल.ए.टी (CLAT – Common Law Admission Test) का आयोजन किया जाता है, जिसे उत्तीर्ण करना भी यहाँ पर आवश्यक बन जाता है। जिन छात्रो को इंटिग्रेटेड कोर्स हेतू प्रवेश लेना होता है, उनको इस पात्रता परीक्षा को उत्तीर्ण करना अनिवार्य होता है।
जिन छात्रो ने सफलतापूर्वक कानुन संबंधी शिक्षा का इंटिग्रेटेड कोर्स या फिर स्नातक के बाद एल.एल.बी डिग्री को उत्तीर्ण किया होता है, उन सभी को अनिवार्य तौर पर कानून शिक्षा विभाग द्वारा तय समय की इंटर्नशिप को पुरा करना होता है।
इंटर्नशिप के अंतिम दौर में ऐसे व्यक्तीयो को भारतीय कानून के अंतर्गत निर्मित साल १९६१ के एडवोकेट कानून अनुसार संबंधित राज्य के बार कौन्सिल मे एडवोकेट के रूप मे स्वयं का नाम दर्ज करवाना/नामांकन करना आवश्यक होता है।
एडवोकेट के विभिन्न प्रकार
यहाँ पर विस्तार से चर्चा करेंगे के एडवोकेट के प्रमुख कितने प्रकार होते है, जिन्हे हम कार्यक्षेत्र से जोडकर उनमे बुनियादी अंतर देख सकते है जैसे के –
एडवोकेट इन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट
एडवोकेट इन हाई कोर्ट
सिनियर एडवोकेट
एडवोकेट इन सुप्रीम कोर्ट
एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड
गवर्नमेंट एडवोकेट
प्राइवेट एडवोकेट
ट्रायल एडवोकेट
एडवोकेट ऑफ इमीग्रेशन
क्रिमिनल एडवोकेट
सिविल राइट्स एडवोकेट
टैक्स एडवोकेट
एडवोकेट ऑफ डिजिटल मिडिया एंड इंटरनेट
इंटेलेक्चुअल पॉपर्टी एडवोकेट
एडवोकेट जनरल ऑफ स्टेट
मेडिकल मैलप्रैक्टिस एडवोकेट
उपरोक्त दिये गये सभी प्रकारो मे निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र से जुडे विभिन्न एडवोकेट पद मौजूद है, जिनको कार्यक्षेत्र अनुसार पहचाना जाता है तथा संबंधित क्षेत्र से जुडे कानूनी कार्य को वे सभी पुरा करते है।
आपको बता दे एडवोकेट जनरल भारत के प्रत्येक राज्य सरकार के अंतर्गत मौजूद पद होता है, जिस पर कार्य करने वाला व्यक्ती संबंधित राज्य से जुडे विभिन्न प्रशासकीय मुद्दो का पक्ष उस राज्य के कानूनी अफसर के तौर पर कोर्ट मे रखता है।तथा राज्य सरकार की तरफ से कानूनी पैतरो का कोर्ट मे इस्तेमाल कर सरकार की भूमिका को स्पष्ट करने का कार्य करता है।
सरकारी एडवोकेट कैसे बने
भारत मे विभिन्न राज्य सरकार मौजूद है तथा प्रत्येक राज्य अंतर्गत डिस्ट्रिक्ट कोर्ट(जिला न्यायालय) और हाई कोर्ट (उच्चतम न्यायालय) मौजूद होते है, जहाँ पर सरकारी वकील मौजूद होते है। यहाँ आपको बता दे के इस तरह के सरकारी वकील के रूप मे चयन हेतू कुछ प्रमुख मानदंडो को पुरा करना होता है जिसमे निम्नलिखित बाते शामिल है –
इच्छुक उम्मिद्वार ने कानून संबंधी शिक्षा की न्यूनतम स्नातक स्तर की शिक्षा एल.एल.बी को उत्तीर्ण करना अनिवार्य होता है।
ऐसा व्यक्ती भारत का नागरिक होना चाहिये।
इच्छुक उम्मिद्वार की न्यूनतम आयु ३५ साल तो अधिकतम आयु ४५ साल तक होना आवश्यक होता है।
सरकारी एडवोकेट के लिये इच्छुक व्यक्ती ने न्यूनतम २ साल जिला न्यायालय (डिस्ट्रिक्ट कोर्ट) मे तो वही न्यूनतम ५ साल तक उच्चतम न्यायालय( हाई कोर्ट) मे एडवोकेट के तौर पर कार्य किया होना चाहिये।
सरकारी वकील के लिये इच्छुक उम्मिद्वार ने स्वयं का नामांकन संबंधित राज्य के बार कौन्सिल मे करना अनिवार्य होता है, तथा इस तरह के नामांकन के बाद दो साल के अंदर ऐसे उम्मिद्वार ने ‘ऑल इंडिया बार कौंसिल’ की परीक्षा को उत्तीर्ण किया होना चाहिए।
उपरोक्त मानदंडो को पुरा करनेवाले तथा एडवोकेट के रूप मे कार्य करने वाले व्याक्तियो की सूची सिनियर न्यायाधीश द्वारा संबंधित राज्य के सरकार को भेज दी जाती है। यहाँ पर इस सूची मे से सरकारी एडवोकेट के पद पर पात्र उम्मिद्वार के चयन की प्रक्रिया को राज्य सरकार द्वारा पुरा किया जाता है, जिसके लिये चयन समिती निर्मित की गयी होती है।
यहाँ पर सीधे तौर पर सरकारी वकील बनने के लिये आवेदन नही करना होता बल्की संबंधित राज्य के बार कौन्सिल से एडवोकेट व्यक्तियो की सूची सिनियर न्यायाधीश द्वारा राज्य सरकार को भेजी जाती है।
आपको बता दे के इस सूची मे से सरकारी एडवोकेट पद पर उम्मिद्वार चयन करने के संपूर्ण अधिकार राज्य सरकार के पास होते है, जिसका निर्णय सरकार द्वारा स्थापित समिती के अंतिम फैसले के बाद लिया जाता है।
उपरोक्त प्रक्रिया से जो व्यक्ती सरकारी एडवोकेट के रूप मे चयनित होते है उन्हे विभिन्न सार्वजनिक मामलो मे सरकारी वकील के रूप मे न्यायिक प्रक्रिया द्वारा पिडीत व्यक्ती/व्यक्तियोको, संस्था, विशेष वर्ग इत्यादि को न्याय दिलाने का कार्य करना होता है।
वकील बनने की उम्र
अगर आपको सार्वजनिक क्षेत्र मे एडवोकेट यानि के पब्लिक प्रोसीक्यूटर के तौर पर कार्य करना हो तो, इस हेतू आयु सीमा का मानदंड न्यूनतम ३५ वर्ष तो अधिकतम आयु ४५ साल का होता है।
यहाँ भारतीय संविधान द्वारा दिया जानेवाला जातिगत आरक्षण लागू होता है, जिसके अंतर्गत पिछ्डे वर्ग, अन्य पिछ्डे वर्ग इत्यादी को आयु सीमा मे तय छुट प्रदान की जाती है।
लॉयर और एडवोकेट में क्या अंतर होता है?
जैसा के हमने शुरुवात मे आपसे कहा था के हम लॉयर और एडवोकेट के बिच मे बुनियादी अंतर पर चर्चा करेंगे, जिसके अंतर्गत निम्नलिखित बाते स्पष्ट होकर सामने आती है, जैसे के –
एडवोकेट वो व्यक्ती होते है जिन्होने कानून से संबंधित न्यूनतम शिक्षा एल.एल.बी को उत्तीर्ण किया होता है, साथ ही ऐसे व्यक्तियो ने अनिवार्य तौर पर कानून शिक्षा से जुडे इंटर्नशिप को पुरा किया हुआ रहता है। वही संबंधित राज्य के बार कौन्सिल मे ऐसे व्यक्तियो का भारतीय एडवोकेट कानून १९६१ अनुसार नामांकन/नाम दर्ज हुआ होता है।
जब बात लॉयर की करे तो ये वो व्यक्ती होते है जिन्होने कानून की शिक्षा एल.एल.बी को उत्तीर्ण किया हुआ होता है, पर ऐसे व्यक्तियो ने ना तो इंटर्नशिप पुरी की होती है ना ही संबंधित राज्य मे इनका बार कौन्सिल मे नाम दर्ज होना जरुरी होता है।
कुछ विशेष मामलो मे लॉयर व्यक्तियो को कोर्ट मे मुवक्कील का पक्ष रखने पर प्रतिबंध होता है, पर एडवोकेट को किसी भी मामले मे मुवक्कील का पक्ष रखने का अधिकार दिया गया है।
अंत मे ये ध्यान मे ले के सभी एडवोकेट व्यक्ती स्वाभाविक तौर पर लॉयर होते है, पर सभी लॉयर एडवोकेट नही होते है।
सरकारी वकीलों की सैलरी
एडवोकेट पद पर कार्य करने वाले व्यक्तियो को सालाना लगभग ३ लाख ६० हजार रुपये से लेकर ५ लाख ४० हजार तक की सैलरी दी जाती है। यहाँ निजी और सार्वजनिक क्षेत्र मे कार्य करनेवाले एडवोकेट के सैलरी मे कार्य क्षेत्र तथा कार्यकाल के अनुसार अंतर देखने को मिलता है।
इस तरह से अबतक आपने एडवोकेट से संबंधित विभिन्न पह्लूओ की जानकारी को पढा जिसमे हमने लगभग सभी प्रमुख बातो के बारे मे जानकारी देने का प्रयास किया। आशा करते है के दी गयी जानकारी को पढकर आपको मजा आया होगा तथा इस विषय मे आपके शंकाओ का समाधान भी हुआ होगा।
आपके अलावा अन्य लोगो को इस विषय से परिचित कराने हेतू तथा उनको भी लाभ इस जानकारी का लाभ पहुचाने हेतू इस लेख को उन सभी लोगो तक अवश्य साझा करे। हमसे जुडे रहने हेतू बहुत बहुत धन्यवाद…
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FAQ
Q. सरकारी एडवोकेट बनने के लिये आयु सीमा क्या होती है? (Age Limit Criteria to become an Government Prosecutor/Advocate?)
जवाब: न्यूनतम ३५ साल तो अधिकतम ४५ साल, यहा जातिगत आरक्षण अनुसार आयु सीमा मे छुट दी जाती है।
Q. सरकारी एडवोकेट बनने हेतू किन प्रमुख मानदंडो को पुरा करना होता है, संक्षेप मे बताये?(Essential Parameters to become an Government Prosecutor/Advocate?)
जवाब:
1. न्यूनतम स्नातक शिक्षा के साथ एल.ए.बी की डिग्री को उत्तीर्ण किया होना चाहिये
2. अनिवार्य तौर पर कानून शिक्षा से संबंधित इंटर्नशिप को पुरा किया होना चाहिये
3. संबंधित राज्य के बार कौन्सिल मे नामांकन किया होना चाहिये, तथा ऐसे नामांकन के बाद २ साल के अंदर ‘बार कौन्सिल ऑफ इंडिया’ की परीक्षा को उत्तीर्ण किया होना चाहिये
4. इच्छुक उम्मिद्वार की आयु न्यूनतम ३५ साल तो अधिकतम ४५ साल होनी चाहिये
5. इच्छुक उम्मिद्वार ने जिला न्यायालय मे २ साल तथा उच्चतम न्यायालय मे ५ साल तक एडवोकेट के रूप मे कार्य किया होना अनिवार्य होता है।
Q. क्या लॉयर और एडवोकेट के बिच मे बुनियादी अंतर होता है? (Is there any kind of basic difference between Lawyer and Advocate?)
जवाब: हाँ।
Q. एडवोकेट बनने के लिये न्यूनतम क्या शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक होता है? (Minimum education is required to become an Advocate?)
जवाब: किसी भी शिक्षा धारा से स्नातक/बैचलर डिग्री को उत्तीर्ण करने के साथ कानून की शिक्षा डिग्री एल.एल.बी को उत्तीर्ण करना आवश्यक होता है।
Q. कक्षा १२ वी को उत्तीर्ण करने के बाद, क्या किसी कानून से संबंधित इंटिग्रेटेड कोर्स द्वारा एडवोकेट बनने का विकल्प मौजूद होता है? (Is there any kind of integrated course available in law field to become an Advocate?)
जवाब: हाँ। पर इस इंटिग्रेटेड कोर्स को उत्तीर्ण करने के बाद आपको कानून शिक्षा से संबंधित इंटर्नशिप को पुरा करना होता है तथा इसके पश्चात संबंधित राज्य के बार कौन्सिल मे नामांकन करना होता है तभी आप एडवोकेट कहलाये जायेंगे।