Airavat hathi erawat hathi ऐरावत हाथी indra ke hathi ka naam क्या है? ऐरावत का चित्र ऐरावत हाथी का वर्णन ऐरावत हाथी की फोटो ऐरावत हाथी की उत्पत्ति कैसे हुई यह सब आपको इस ब्लॉग पोस्ट में जानने को मिलेगा।
airavat hathi सभी हाँथियों में श्रेष्ठ ऐरावत हाथी देवराज इंद्र के वाहन के रूप में जाने जाते है। इनका रंग सफेद है और इनके चार दाँत है। अत्यंत बलशाली और सुन्दर सफेद वर्ण वाले ऐरावत हाथी की उत्पत्ति आखिर कहाँ से हुई और यह कैसे देवराज इंद्र के वाहन बने यह सब हम आपको इस लेख में बताने वाले है तो यदि आप erawat hathi के बारे में जानना चाहते है तो अंत तक जरूर पढ़ें।
ऐरावत हाथी कौन है?
इंद्र के हाथी का नाम ऐरावत है जो इंद्र देव के वाहन के रूप में जाने जाते है। airavat hathi वैभव और ऎश्वर्या का प्रतीक माना जाता है। ऐरावत हाथी कि काया श्वेतकांतिमय है जैसे निर्मल दुग्ध की तरह प्रतीत होती है। ऐरावत हाथी सभी हाथियों में श्रेष्ठ और शक्तिशाली है।

ऐरावत की उत्पत्ति कैसे हुई ?
ऐरावत की उत्पत्ति की कथा प्रचलित है जब देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया तो समुद्र से 14 रत्न प्राप्त हुए। उन 14 रत्नों में एक हाँथी भी था जो दिव्यगुणों से परिपूर्ण ऐश्वर्ययुक्त अत्यंत सुंदर और श्वेतकांति से परिपूर्ण था। रत्नो के बटवारे के समय देवराज ने अपने लिए यह दिव्या हाँथी रख लिया और इसे अपना वाहन बना लिया।
ऐरावत हाथी के बारे में गीता के एक श्लोक में भगवन कृष्ण अर्जुन से कहते है हे, अर्जुन सभी हाथियों में श्रेष्ठ मैं ऐरावत और सभी अश्वों में श्रेष्ठ मैं उच्चैश्रवा हूँ। उच्चैश्रवा नाम का एक दिव्य अश्व भी उन 14 रत्नों में एक है जो समुद्र मंथन से उत्पन हुआ था।
ऐरावत हाथी से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब।
Q.- ऐरावत हाथी कौन है?
Ans:- ऐरावत हाथी एक दिव्या गज है जो ऎश्वर्या का प्रतीक है।
Q.- ऐरावत हाथी में कितनी ताकत होती है?
Ans:- ऐरावत हाथी सभी हाथीयों श्रेष्ठ और सबसे बलशाली है। उनमे इतनी ताकत है की वे किसी पर्वत की एक ही पल में नष्ट कर दें।
Q.- ऐरावत गजराज किसका वाहन था?
Ans:- देवराज इंद्र के वाहन है।
Q.- ऐरावत का मतलब क्या होता है?
Ans:- ऐरावत का मतलब होता है जल से उत्पन्न हुआ।
Q.- ऐरावत हाथी की फोटो
Ans:- हमने ऊपर ऐरावत हाथी की फोटो को दर्शाया है।
मुझे उम्मीद है आपको ऐरावत हाथी से जुडी यह जानकारी पसंद आई होगी इस जानकारी ने आपके ऐरावत हाथी के बारे में ज्ञान को और बढ़ाया होगा। यदि आपको यह जानना है की गरुण का जन्म कैसे हुआ और वह कैसे भगवन विष्णु का वाहन बने तो आप यहाँ पढ़ सकते है।
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