भारत का राष्ट्रीय पशु:- दोस्तों आज हम आपको भारत का राष्ट्रीय पशु कौन सा है के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको भारत का राष्ट्रीय पशु के बारे में पूरी जानकारी देने जा रहे हैं अगर आपको राष्ट्रीय पशु के बारे में सम्पूर्ण जानकारी चाहिए तो आप इस पोस्ट को लास्ट तक पढ़े।
भारत का राष्ट्रीय पशु
भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ है। यह वन्यजीव भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है और विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। बाघ एक बड़ा, शक्तिशाली और बहुत आकर्षक जानवर है। यह वन्य पशु वर्गीकृत हो गया है, जिसका अर्थ है कि इसकी सुरक्षा, संरक्षण और प्रबंधन को विशेष महत्व दिया जाता है।

बाघ का वैज्ञानिक नाम “पैंथेरा तिग्रिस” है और यह बाघ कुल के सदस्य है, जो एशियाई बाघ के नाम से भी जाना जाता है। इसकी विशेषताएं मजबूत शरीर, अच्छी दृष्टि, चार पैर और रंगीन त्वचा हैं। यह शेर के बाद दूसरा सबसे बड़ा भारतीय मांसाहारी जानवर है और इसकी वजह से यह जंगलों के राजा के रूप में भी जाना जाता है।
बाघ विश्वभर में कई वर्षों से मानव समुदायों की ध्यान आकर्षित कर रहा है। इसके बावजूद, बाघों की संख्या में गिरावट और उनके संरक्षण की आवश्यकता के कारण यह एक आधिकारिक रूप से प्रतिबंधित जानवर है। बाघ की जीवनशैली, प्रजनन व्यवस्था, खाने-पीने की आदतें और उनके आवास के बारे में नवीनतम अध्ययन ने हमें इन्हें समझने में मदद की है।
बाघ को राष्टीय पशु घोषित किया गया
बाघ को राष्ट्रीय पशु भारत सरकार द्वारा 1972 में घोषित किया गया। भारत में बाघ को संरक्षित करने के लिए ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरुआत 1973 में की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य था बाघों के संरक्षण के लिए विशेष ध्यान देना और उनके आवास को सुरक्षित रखना।
प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ को राष्ट्रीय पशु घोषित किया गया, जिससे इसका संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा को महत्वपूर्णता मिली। इसके बाद से भारत सरकार और विभिन्न संगठनों ने बाघों के संरक्षण में सक्रिय योगदान दिया है और उनके आवास की सुरक्षा के लिए नीतियों को अपडेट किया गया है।
भारत में बाघों की संख्या 2023
प्रधान मंत्री जी ने भारत के प्रोजेक्ट टाइगर के 50 वे बर्ष पर बाघों की नई गड़ना रिपोर्ट जारी की है जिसमे 2023 में बाधों की संख्या 3 ,167 है। जबकि पुरानी रिपोर्ट 2006 के अनुसार यह संख्या 1411 थी।
बाघों से जुडी कुछ धार्मिक मान्यताये
बाघ की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वपूर्णता भी है, जैसे कि इसे देवी दुर्गा के वाहन के रूप में पूजा जाता है। बाघ बांगलादेश, भूटान, नेपाल, पाकिस्तान, और भारत के विभिन्न हिस्सों में पाया जाता है।
बाघों की संरक्षा
बाघ को संरक्षित करने की आवश्यकता बढ़ती जा रही है क्योंकि इसकी संख्या में गिरावट के कारण यह वन्यजीवन का संरक्षणीय प्रजाति बन गया है। भारत सरकार ने इसे अधिकृत रूप से संरक्षित किया है और इसकी संरक्षा के लिए विभिन्न उपायों को अपनाया है।
भारत में वन्य जीवन संरक्षण संस्थान (National Tiger Conservation Authority – NTCA) और भारतीय राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (Project Tiger) जैसे महत्वपूर्ण संगठन बनाए गए हैं जो बाघों के संरक्षण और उनके आवास की सुरक्षा में मदद करते हैं।
इन संगठनों के माध्यम से जंगली पशुओं के रक्षण की कई योजनाएं चलाई जाती हैं और साथ ही बाघों के वातावरण के संरक्षण और सुधार के लिए अद्यतन नीतियाँ भी बनाई जाती हैं।
बाघों के लिए राष्ट्रीय अभयारण्य
भारत में कई राष्ट्रीय अभयारण्य (National Parks) हैं जहां बाघों को सुरक्षित वातावरण मिलता है। कई ऐसे अभयारण्य हैं जहां बाघों की प्रमुख आवास स्थली है और इसके लिए विशेष योजनाएं बनाई जाती हैं। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, बंदिपुर राष्ट्रीय उद्यान, राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, जैसे कई प्रमुख अभयारण्य बाघों के संरक्षण के लिए विख्यात हैं।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान – भारत में स्थित मध्य प्रदेश राज्य में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है जो 940 किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में फैला हुआ है। इसको 1 जून 1955 को बनाया गया तथा 1973 में इसे कान्हा टाइगर रिजर्व बनाया गया। बगीचों और वन्यजीवों के लिए एक प्रमुख संरक्षण क्षेत्र है। यह उद्यान बगीचों की सुंदरता, वन्य प्राणियों की विविधता और पर्यटन स्थल के रूप में अपनी प्रसिद्धि के लिए जाना जाता है।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में चिंतामणी, बाघ, भालू, बारासिंघा, मूंगूस, जंगली सुअर, अन्य वन्यजीव, और विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। इस उद्यान में बगीचों के रूप में वन्य फूल, बांस और घास के मैदान देखे जा सकते हैं।
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान – उत्तराखंड राज्य में स्थित जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जो 521 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। अपनी बियर और बाघ संरक्षण क्षेत्र के लिए प्रसिद्ध है।
जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में अलग-अलग प्रकार के पक्षी, प्रायद्वीपीय बाघ, हिरन, बारासिंगा, लंबू और अन्य वन्यजीव देखे जा सकते हैं। यहाँ आपको वन्य प्रकृति का आनंद लेने का अवसर मिलता है, जहाँ आप बियर और बाघों के आस-पास घूम सकते हैं और उन्हें अपने नेचुर वॉक्स के दौरान देख सकते हैं।
जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान यात्रियों के लिए वन्यजीव सफारी, ट्रेकिंग, जीप सफारी, बर्ड वॉचिंग और राफ्टिंग जैसी कई गतिविधियों का भी स्थान है। यहाँ पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य, वन्य प्राणियों की विविधता, और आद्रता का एक अद्वितीय अनुभव मिलता है।
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान – बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान भारत के कर्नाटक राज्य में स्थित एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है। यह उद्यान अपनी वन्यजीव धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन स्थल के लिए प्रसिद्ध है।
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में विभिन्न प्रकार के पशु और पक्षी पाए जाते हैं। यहाँ पर्यटकों को बाघ, हाथी, सांभर, गौर, चीतल, नीलगाय, लंबू, लकड़बग्घा और अन्य वन्यजीवों के दर्शन करने का अवसर मिलता है। यहाँ के जंगलों में घूमने पर पर्यटकों को अपने आस-पास की वन्य प्रकृति का आनंद लेने का मौका मिलता है।
बांदीपुर राष्ट्रीय उद्यान में सफारी यात्राएं, जंगली सफारी, वन्यजीव देखने की यात्राएं, बर्ड वॉचिंग, ट्रेकिंग, और नैचर वॉक्स जैसी कई गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। यहाँ पर्यटक बांदीपुर के वन्य प्राणियों के साथ एक अनुभवपूर्ण और आदर्श पर्यटन का आनंद ले सकते हैं।
राजाजी राष्टीय उद्यान – यह राष्टीय उद्यान उत्तराखंड में है | राजाजी राष्ट्रीय उद्यान, जिसे पहले चिल्का झील राष्ट्रीय उद्यान के नाम से जाना जाता था, उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार, देहरादून और पौड़ी जिलों में स्थित है। यह राष्ट्रीय उद्यान 820 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है और इसे भारतीय वन्यजीव विभाग द्वारा संरक्षित किया जाता है।
यहाँ पर्यटकों को प्राकृतिक सौंदर्य, वन्य जीवों का विविधता और वन्य जीवों के संरक्षण का अद्वितीय अनुभव मिलता है। राजाजी राष्ट्रीय उद्यान का मुख्य उद्देश्य प्राकृतिक संरक्षण है और यह उद्यान विभिन्न प्रजातियों के वन्यजीवों के लिए एक सुरक्षित स्थान है। यहाँ पर विभिन्न प्रजातियों के जानवर जैसे भालू, हिरण, टाइगर, चीता, बाघ, सांभर, जंगली हाथी, बंदर आदि पाए जाते हैं।
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान के अलावा, यहाँ पर्यटकों को बगीचा विहार नेशनल पार्क और चिल्का झील भी देखने का अवसर मिलता है। चिल्का झील, भारत का सबसे बड़ा सामुद्रिक झील है और इसे एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया है। यहाँ पर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों का भी आपूर्ति देखने को मिलता है
बाघों के जीवनकाल में प्रमुख चरण
बाघों का जीवनकाल विभिन्न चरणों में बांटा जा सकता है, जो उनके विकास और वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं। प्रजनन और प्राकृतिक चयन में प्रमुख चरण शामिल हैं। बाघ में प्रमुखतः तीन चरण होते हैं बच्चे, व्यक्तित्व का निर्माण और वयस्क बनाने का चरण।
बाघों का पोषण
बाघों का पोषण अपने प्राकृतिक प्राकृति के आधार पर मांसाहारी होता है। उनका मुख्य शिकार हिरण, बाराहसिंगा, गैल और बंदर होता है। ये जानवर स्वतंत्र रूप से बाघ के आवास में पहुंचने की कोशिश करते हैं, जिसके कारण बाघों के लिए उनके प्राकृतिक आवास की सुरक्षा महत्वपूर्ण है।
बाघों का भविष्य
बाघों का भविष्य उज्ज्वल है यदि हम उनके संरक्षण, संवर्धन और संगठित प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करें। उनके संरक्षण के लिए एकीकृत प्रयास आवश्यक है जिसमें सरकारी संगठन, अकादमिक संस्थान, गैर सरकारी संगठन और स्थानीय समुदायों को सहयोग करना शामिल हो।
बाघ संरक्षण के लिए हमारी जिम्मेदारी
बाघ जैसे राष्ट्रीय पशु का संरक्षण सभी की जिम्मेदारी है। हमें उनके प्राकृतिक आवास को संरक्षित रखने, वन्यजीवों के अवैध शिकार पर रोक लगाने, और उनके संख्या को वृद्धि देने के लिए एक संयंत्रित प्रबंधन की आवश्यकता है। हमें जंगली जीवन का सम्मान करना चाहिए और उनके संरक्षण के लिए अपनी जवानी बहुमूल्य समय और ऊर्जा निवेशित करनी चाहिए।
भारत का राष्ट्रीय पशु, बाघ, हमारी प्राकृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसे संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी है और हमें इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। बाघ संरक्षण के लिए हमारे संगठन, सरकार और समुदायों को मिलकर काम करना होगा ताकि यह मानवता के आनंद का स्रोत और हमारी भूमि की गरिमा का प्रतीक बना रहे।
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