हिमालय का निर्माण कैसे हुआ:- हिमालय पर्वत के बारे में अपने न जाने कितने ही बाते सुनी होंगी और आप हिमालय के बारे में बहुत कुछ जानते भी होंगें जैसे की हिमालय की ऊचाई कितनी है हिमालय पर्वत कहां है, हिमालय भारत के कितने राज्यों में फैला है हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी है और हिमालय पर और माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला के बारे में आप जरूर जानते ही होंगे।
लेकिन क्या आप ने कभी सोचा है की हिमालय का निर्माण कैसे हुआ होगा। यदि आप भी यह जानना चाहते है कि आखिर हिमालय का निर्माण कैसे हुआ तो हमरे इस पोस्ट को ध्यान से पूरा जरूर पढ़ें।
हिमालय का निर्माण कैसे हुआ
हिमालय का निर्माण कैसे हुआ यदि आपके मन में भी यही सवाल है तो हम आपको बता दें की इस दुनिया के विशाल पर्वत का निर्माण 40 से 50 मिलियन वर्ष पूर्व के बीच शुरू हुआ जब दो टेक्टॉनिक प्लेट्स आपस में टकराना शुरू हुई। लेकिन केवल बस इतने मात्र से ही इस विशाल पर्वत की उत्पत्ति संभव नहीं थी इसके लिए और भी कुछ गतिविधियां होनी थी जो उस समय धीरे धीरे अपना रूप ले रहीं थीं।
हिमालय का निर्माण कई करोड़ों सालों के विकास और परिवर्तन के परिणामस्वरूप हुआ है, जो पृथ्वी के भूगर्भीय गतिविधियों और पर्यावरणीय प्रक्रियाओं के संयोजन से संबंधित हैं। हिमालय का निर्माण निम्नलिखित प्रक्रियाओं के माध्यम से हुआ:-
टेक्टोनिक प्लेट की परिस्थितियां (Tectonic Plate Movements): हिमालय का निर्माण टेक्टोनिक प्लेटों के आपस में टकराने से प्राम्भ हुआ, आपसी टकराव और उनके बीच घर्षण के परिणामस्वरूप यह पर्वत अस्तित्व में आया।
उच्चायन (Uplift): टेक्टोनिक प्लेटों के आपसी टकराव के परिणामस्वरूप प्लेट्स एक दुसरे के ऊपर इखट्टा होने लगीं जिस कारण, भूमि में उठाव प्राम्भ हुआ और पर्वत श्रृंखला उत्पन्न हुई। इसके परिणामस्वरूप हिमालय की महाद्वीपीय श्रृंखला बनी।
जलवायु विकास (Climate Development): हिमालय का निर्माण जलवायु के परिवर्तनों और ग्लेशियर कार्विंग के प्रभाव में हुआ। बर्फबारी, बर्फ की गतिविधियाँ और जल-जलावृत्ति ने पर्वतीय क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जल प्रक्रियाएँ (Hydrological Processes): नदियों और जलस्रोतों के निर्माण ने भी हिमालय के पर्वतीय विकास में भूमिका निभाई। जल की गतिविधियाँ, नदी की नई राहें बनाने में मदद करती हैं।
इन प्रक्रियाओं के संयोजन ने हिमालय की महाद्वीपीय पर्वतीय श्रृंखला का निर्माण किया, जो विशेषकर भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भागों में स्थित हैं और इसके अद्वितीय भूगर्भीय और जीवन्य संदर्भ को निर्दिष्ट करते हैं।
हिमालय पर्वत की ऊंचाई
हिमालय पर्वतमाला की ऊंचाई विभिन्न स्थानों पर भिन्न होती है, क्योंकि यह एक लंबी श्रृंखला है और विभिन्न शिखरों और पर्वतीय राज्यों में फैली हुई है। हिमालय की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट है, जिसकी आधिकारिक ऊंचाई 8,848.86 मीटर (स्वत: सर्वोच्च बिंदु) है।
यहां हिमालय की कुछ महत्वपूर्ण चोटियों की ऊंचाइयों की सूची है:
- माउंट एवरेस्ट: 8,848.86 मीटर (स्वत: सर्वोच्च बिंदु)
- कांचेंजंगा: 8,586 मीटर
- ल्होट्से: 8,516 मीटर
- मकालू: 8,485 मीटर
- चोयु: 8,188 मीटर
- नंगा परबात: 8,126 मीटर
- दौलागिरी: 8,167 मीटर
हिमालय पर्वत की सबसे ऊंची चोटी है
माउंट एवरेस्ट (Mount Everest): माउंट एवरेस्ट, जिसे नेपाली में “सगरमाथा” और तिब्बती में “चोमोलंगमा” कहा जाता है, यह हिमालय पर्वतमाला का सबसे ऊँचा शिखर है। इसकी आधिकारिक ऊँचाई लगभग 8,848 मीटर (29,029 फीट) है।
हिमालय पर्वत कहां है
हिमालय पर्वतमाला दुनिया के कई देशों के बीच में फैली हुई है, लेकिन इसका मुख्य हिस्सा नेपाल और भारत के तट प्रदेश में स्थित है। हिमालय पर्वतमाला का बड़ा हिस्सा नेपाल में और उसका पूर्वी हिस्सा भारत के उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, वेस्ट बंगाल और असम में स्थित है।
इसके अलावा, हिमालय पर्वतमाला की छोटी खण्ड़यों और शिखरों का दूसरा हिस्सा भूटान, तिब्बत (चीन) और पाकिस्तान में भी फैला हुआ है। यह दुनिया की सबसे प्रमुख पर्वतमाला है और अपनी प्राकृतिक सौंदर्य और पर्वतीय परियोजनाओं के लिए प्रसिद्ध है।
हिमालय पर्वत से जुड़ा हमारा यह लेख आपको इस विशाल पर्वत के बारे में संछिप्त जानकारी प्रदान करता है। मुझे उम्मीद है usefulgyan.com के इस ब्लॉग पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको पता चला होगा की आखिर हिमालय पर्वत का निर्माण कैसे हुआ था। मुझे उम्मीद है आपको यह जानकारी उपयोगी लगी होगी। ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारियाँ लगातार प्राप्त करने रहने के लिए हमरे साथ जुड़े रहें।
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