kanhaiya lal mishra prabhakar | कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर’ जीवन परिचय रचनाएँ, भाषा शैली

kanhaiya lal mishra prabhakar के बारे में आप इस पोस्ट में जानकारी प्राप्त करने वाले है। kanhaiya lal mishra prabhakar ने अपना जीवन राष्ट्रसेवा और साहित्य सेवा हेतु समर्पित कर दिया। इनकी कई रचाएँ आज भी लोगों में नई सोच और रस भर देती है। तो चलिए जानते है kanhaiya lal mishra prabhakar ka jeevan parichay के बारे में

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय

kanhaiyalal mishra prabhakar  देश के प्रति विशेष अनुराग रखने वाले प्रभाकर जी का जन्म सन् 1906 ई. में सहारनपुर जिले के देवबन्द नामक कस्बे में हुआ था।

उनके पिता श्री रमादत्त मिश्र एक कर्मकाण्डी ब्राह्मण थे। उनके परिवार का जीविकोपार्जन पंडिताई के द्वारा होता था। अतः पारिवारिक परिस्थितियों के अनुकूल न होने के कारण इनकी प्रारम्भिक शिक्षा का प्रबन्ध घर पर ही हुआ।

इसके बाद इन्होंने खुर्जा के संस्कृत विद्यालय में प्रवेश लिया लेकिन वे मौलाना आसफ अली के सम्पर्क में आने पर उनसे प्रभावित होकर स्वतन्त्रता संग्राम के आन्दोलन में कूद पड़े। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रसेवा और साहित्य सेवा हेतु समर्पित कर दिया।

आपने अपने जीवन के बहुमूल्य वर्ष जेल में बिताये,परन्तु देश के स्वतन्त्र होने के उपरान्त प्रभाकर जी ने अपना समय साहित्य-सेवा और पत्रकारिता में लगा दिया। माँ भारती का यह वरद् पुत्र अन्तकाल तक मानव तथा साहित्य की साधना करता हुआ सन् 1995 ई. में चिरनिद्रा में लीन हो गया।

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कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की रचनाएँ

ललित निबन्ध संग्रह- बाजे पायलिया के घुघरू।

संस्मरण-दीप जले-शंख बजे।

लघु कहानी- धरती के फूल, आकाश के तारे।

रेखाचित्र- माटी हो गई सोना, नयी पीढ़ी नये विचार, जिन्दगी मुस्कराई।

अन्य रचनाएँ- क्षण बोले कण मुस्कराये, भूले बिसरे चेहरे,महके आँगन चहके द्वार।

पत्र-सम्पादन- विकास, नया जीवन।

पत्रिका- ज्ञानोदय।

कन्हैयालाल मिश्र ‘प्रभाकर की भाषा शैली

भाषा- प्रभाकर जी की भाषा सरल, सुबोध एवं प्रसादयुक्त, स्वाभाविक है। आपकी भाषा भावानुकूल है। इसमें आपने यथास्थान मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग किया है।

भाषा में यथास्थान तत्सम शब्दों का भी प्रयोग है। आपके साहित्य में वाक्य छोटे-छोटे तथा सरल हैं। इन्होंने जहाँ-तहाँ बड़े-बड़े वाक्यांशों का प्रयोग किया परन्तु शब्दों को कहीं भी जटिल नहीं होने दिया। इनकी भाषा शुद्ध व साहित्यिक खड़ी बोली है।

शैली- प्रभाकर जी की शैली में काव्यात्मकता और चित्रात्मक दिखाई देती है। आपकी शैली भी तीन प्रकार की है

  1. वर्णनात्मक शैली- लेखक ने जहाँ विषयवस्तु का सटीक वर्णन किया है, वहाँ इस शैली का प्रयोग किया है। इस शैली का प्रयोग अधिकतर लघु कथाओं में किया है।

2. नाटकीय शैली- इस शैली के प्रयोग से गद्य में सजीवता और रोचकता आ गयी है। इस शैली का प्रयोग रिपोर्ताज में किया गया है।

3. भावात्मक और चित्रात्मक शैली-  इस शैली का प्रयोग रिपोर्ताज और संस्मरण लिखते समय किया है। शब्दों के द्वारा इतना सुन्दर चित्रांकन अन्य किसी लेखक ने आज तक नहीं किया है।

kanhaiya lal mishra prabhakar साहित्य में स्थान- प्रभाकर जी यद्यपि आज हमारे मध्य नहीं हैं,लेकिन फिर भी हम उन्हें राष्ट्रसेवी, देशप्रेमी और पत्रकार के रूप में सदैव याद करते रहेंगे। पत्रकारिता एवं रिपोर्ताज के क्षेत्र में इनका अद्वितीय स्थान है। सच्चे अर्थों में वे एक उच्चकोटि के साहित्यकार थे। उनके निधन से जो क्षति हुई है वह सदैव अविस्मरणीय रहेगी।

कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब FAQ

प्रश्न:- कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर किस युग के लेखक हैं
उत्तर:- आधुनिक काल यह कहें तो कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर आधुनिक युग के लेखक हैं।

प्रश्न:- कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की भाषा शैली क्या है?
उत्तर:- भाषा:- प्रभाकर जी की भाषा सरल, सुबोध एवं प्रसादयुक्त, स्वाभाविक है। आपकी भाषा भावानुकूल है। इसमें आपने यथास्थान मुहावरे और लोकोक्तियों का प्रयोग किया है।
शैली:- वर्णनात्मक शैली, नाटकीय शैली, भावात्मक और चित्रात्मक शैली

प्रश्न:- कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी का जन्म कब हुआ था?
उत्तर:- 29 मई 1906

प्रश्न:- कन्हैयालाल मिश्र की मृत्यु कब हुई थी?
उत्तर:- 9 मई 1995

प्रश्न:- कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की लघुकथा कौन सी है?
उत्तर:- धरती के फूल, आकाश के तारे।

प्रश्न:- प्रभाकर जी का मूल नाम क्या है?
उत्तर:- उनका आरंभिक नाम विष्णु दयाल था।

प्रश्न:- आकाश के तारे किसकी रचना है?
उत्तर:- कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर

प्रश्न:- कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर के पिता का नाम क्या था?
उत्तर:- इनके पिता का नाम पं० रमादत्त मिश्र था।

प्रश्न:- कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी के निबंध संग्रह का नाम लिखिए
उत्तर:-  कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी के निबंध संग्रह का नाम बाजे पायलिया के घुघरू है।

प्रश्न:- कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर की बाजे पायलिया के घुंघरू किस विधा की रचना है
उत्तर:- यह एक निबंध संग्रह है।

कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर का जीवन परिचय हमने आपको इस लेख ले माध्यम से बताया। हमने इस लेख में आपको संछिप्त में आपको सारि जानकारी प्रदान की है उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

आपने हमें इतना समय दिया आपका बहुत धन्यवाद।


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