khajuraho mandir चंदेला साम्राज्य में बने इन अद्भुत मंदिरों को इसकी दीवार पर लगे पत्थर से बने कामुक मूर्तियों और इनकी अद्भुत कला सौंदर्य तथा भव्य आर्कषण की वजह से विश्व धरोहर में शामिल किया गया है, तो आइए जानते हैं भारत के इस प्रसिद्ध खजुराहो के मंदिर के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य –
खजुराहों के मंदिरों का इतिहास – Khajuraho Temple History In Hindi
खजुराहो का इतिहास लगभग एक हजार साल पुराना है। खजुराहो मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित है। यह उत्तर प्रदेश के झाँसी से 175 किलोमीटर दक्षिण की तरफ स्थित है। यहीं पर विश्वप्रशिद्ध खजुराहो के मंदिरों का निर्माण चंदेला साम्राज्य के समय में किया गया था। प्राचीन काल में खजुराहो को ‘खजूरपुरा’ और ‘खजूर वाहिका’ के नाम से भी जाना जाता था। वर्तमान में इसका नाम खजुराहो है।
खुजराहों के मंदिरों का निर्माण चंदेल साम्राज्य के समय में चंदेल वंश द्वारा 950 – 1050 CE के बीच किया गया था। भगवान चंद्र देव और देवी हेमवती के बेटे राजा चन्द्रवर्मन ने खजुराहों के ज्यादातर मंदिरों की स्थापना की थी।
चन्द्रवर्मन मध्यकाल में बुंदेलखंड में शासन करने वाले राजपूत राजा थे। वे अपने को चन्द्रवंशी मानते थे। जैसे ही चंदेला शासन की ताकत का विस्तार हुआ था, उनके साम्राज्य को बुंदेलखंड का नाम दे दिया गया था और फिर उन्होंने खुजराहों के इन भव्य मंदिरों का निर्माण काम शुरु किया था। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीच इन्हीं चन्देल राजाओं द्वारा किया गया।
इसके बाद चंदेल वंश के शासकों ने अपनी राजधानी उत्तरप्रदेश में स्थित महोबा को बनी ली थी। वहीं खुजराहों के बहुत से मंदिर हिन्दू राजा यशोवर्मन और ढंगा के राज में बनाए गए थे, जिसमें से लक्ष्मण और शिव जी को समर्पित विश्वनाथ जी का मंदिर काफी प्रसिद्ध है। वहीं 1017 से 1029 ईसापूर्व में गंडा राजा के शासनकाल में बना कंदरिया महादेव का मंदिर खजुराहों के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
आपको बता दें कि अपनी कलाकृति के लिए विश्व भर में मशहूर खजुराहो के मंदिर, उत्तरप्रदेश में स्थित महोबा से करीब 35 मील दूरी पर बनाए गए हैं। 12 वीं शताब्दी तक खजुराहों के मंदिर का सौंदर्य और आर्कषण बरकरार था, लेकिन 13 वीं सदी में जब दिल्ली सल्तनत के सुल्तान कुतुब-उद-द्दीन ने चंदेला साम्राज्य को छीन लिया था, तब खजुराहो मंदिर के स्मारकों में काफी बदलाव किया गया था, और इसके सौंदर्य में काफी कमी आ गई थी।
खजुराहों के मंदिरों के खोज
मंदिरों का शहर खजुराहो पूरे विश्व में मुड़े हुए पत्थरों से निर्मित मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। खजुराहो को इसके अलंकृत मंदिरों की वजह से जाना जाता है जो कि देश के सर्वोत्कृष्ठ मध्यकालीन स्मारक हैं। भारत के अलावा दुनिया भर के आगन्तुक और पर्यटक प्रेम के इस अप्रतिम सौंदर्य के प्रतीक को देखने के लिए निरंतर आते रहते हैं।
लेकिन क्या आपको पता ये मंदिर कई सालों से गुम थे। समय के साथ साथ लोगों ने इन्हें भुला दिया था। इनकी जानकारी बहुत ही कम स्थनीय लोगों को ही थी। खजुराहो के प्रशिद्ध मंदिरों को दुनिया के सामने लाने में ब्रिटिश इंजीनियर टी एस बर्ट का काफी योगदान है।
जब ब्रिटिश इंजीनियर टी एस बर्ट ने खजुराहो के मंदिरों की खोज की है तब से मंदिरों के एक विशाल समूह को ‘पश्चिमी समूह’ के नाम से जाना जाता है। यह खजुराहो के सबसे आकर्षक स्थानों में से एक है। खजुराहों के मंदिरों को भव्यता और आर्कषण की वजह से युनेस्को ने साल 1986 में विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया था।
कुछ इतिहासकारों के मुताबिक हिन्दू और जैन धर्म के इस खुजराहों के मंदिरों के समूह में पहले मंदिरों की संख्या 85 थी, जो कि पहले 20 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले हुए थे, और अब इनमें से सिर्फ 25 मंदिर ही ऐसे बचे जो अच्छी हालत में हैं, जो कि 6 किलोमीटर के दायरे में फैले हुए हैं। वहीं खजुराहों के इन मंदिरों में सही देखरेख के अभाव की वजह से काफी नुकसान भी हुआ था, इसके साथ ही कई मंदिरों से मूर्तियां भी गायब होने लगी थी।
खजुराहो मंदिर की प्रमुख विशेषताएं
खजुराहों के मंदिर अपनी भव्यता और सुंदर कलाकृतियां एवं मनमोहक कामोत्तक मूर्तिकला की वजह से पूरे विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस प्राचीनतम मंदिर की सुंदर कलाकृतियां दुनिया की सबसे खूबसूरत कलाकृतियों में शुमार हैं, जो कि कलाप्रेमियों का ध्यान अपनी तरफ आर्कषित करती हैं।
खजुराहों के मंदिर में दीवारों पर बनी इन अद्धितीय मूर्तियों की बेहतरीन कारीगिरी और नक्काशी की हर कोई तारीफ करता है। खुजराहों के मंदिर में बनी कामोत्तेजक मूर्तियां इसकी प्रमुख विशेषता हैं, इन आर्कषक मूर्तियों के द्धारा जो कामुक कला के अलग-अलग आसन प्रदर्शित किए गए हैं, लेकिन फिर भी यह प्रतिमाएं अश्लील प्रतीत नहीं होती हैं।
इस प्राचीन मंदिर की कलाकृतियों की अद्भुत शिल्पकारी और प्रभावशाली मूर्ति कला की भव्यता की वजह से इन्हें विश्व धरोहर की लिस्ट में शामिल किया गया है। इस शानदार खजुराहों के मंदिर के अंदर करीब 246 कलाकृतियां हैं जबकि 646 कलाकृतियां बाहर हैं, जिनमें ज्यादातर कलाकृतियां कामुकता को प्रदर्शित करती हैं। इसकी बेहद विशेष कलाकृतियों की वजह से खजुराहों के मंदिर की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है
खजुराहो मंदिर का निर्माण किसने और कब करवाया – When Was Khajuraho Temple Built
अपनी अद्भुत कलाकृतियों और कामोत्तक मूर्तियों के लिए विश्व भर में प्रसिद्द खजुराहों में इन बेहद शानदार मंदिरों का निर्माण चंदेला साम्राज्य के समय 950 और 1050 ईसवी के बीच में राजा चंद्रवर्मन ने करवाया था। यहां हिन्दू और जैन धर्म के मंदिरों का समूह है। खजुराहों के मंदिरों में महादेव जी को समर्पित एक कंदरिया महादेव जी का मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और भव्य मंदिर है।
खजूरहो के मंदिरों की खोज कब और किसने की
खजुराहों के इस प्रसिद्ध मंदिर में पहले सिर्फ साधुओं का ही बसेरा रहता था, जिसका महत्व धीमे-धीमे कम होता जा रहा था, लेकिन 20 वीं शताब्दी में इस मंदिर को ब्रिटिश इंजीनियर टी एस बर्ट के द्वारा फिर से खोजा गया था। जिसके बाद इसे संरक्षित किया गया।
खजुराहो का सबसे प्रशिद्ध मन्दिर कौन सा है।
मध्यकाल में बने इस प्रसिद्ध खजुराहो के मंदिर में हिन्दू धर्म के कई देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को शानदार ढंग से उकेरा गया है, इसके साथ ही इसमें ब्रम्हा, विष्णु और महेश भगवान की उत्कृष्ट कलाकृतियां बनाई गई हैं। खजुराहों के इस प्राचीन मंदिर को तीन अलग-अलग समूहों में बांटा गया है, जिसमें पूर्वी समूह, पश्चिमी समूह एवं दक्षिणी समूह आदि हैं। खजुराहों के मंदिरों में महादेव जी को समर्पित एक कंदरिया महादेव जी का मंदिर सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और भव्य मंदिर है।
खजुराहो कब जाना चाहिए
हर साल खजुराहो में खजूरों फेस्टिवल का आयोजन होता है। इस साल 20 से 26 फरवरी के बीच 47 वां खजुराहो नृत्य समरोह आयोजित होगा आप तब वहाँ जा सकते है। इस फेस्टिवल में देश विदेश के पर्यटक आते है। फेस्टिवल के समय यहाँ रंगारंग कार्योक्रमों का आयोजन होता है।
खजुराहो के प्रशिद्ध मंदिरों के नाम – khajuraho ka mandir
1. कंदरिया महादेव जी का मंदिर
2. पार्वती मंदिर
3.वामन मंदिर
4.लक्ष्मी मंदिर
5.वराह मंदिर
6.लक्ष्मण मंदिर
7. सिंह मंदिर
8. देवी जगदम्बा मंदिर
9. सूर्य (चित्रगुप्त) मंदिर
10.विश्वनाथ मन्दिर
11. नन्दी मंदिर
12. जावरी मंदिर
13. चतुर्भुज मंदिर
14. दुल्हादेव मन्दिर
खजूरहो के मन्दिरों तक कैसे पहुंचें
खजुराहो एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जिसके सबसे पास झांसी, हरपालपुर, महोबा रेलवे स्टेशन है। जिसकी महोबा से दूरी करीब 54 किलोमीटर है, जबकि छतरपुर से यह 45 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है।
यहां पहुंचने के लिए सड़क मार्ग है जो बेहतरीन बस सुविधा से जुड़ा हुआ है। खजुराहो महोबा, हरपालपुर, छतरपुर, सतना, पन्ना, झांसी, आगरा, ग्वालियर, सागर, जबलपुर, इंदौर, भोपाल, वाराणसी और इलाहाबाद से नियमित और सीधा जुड़ा हुआ है।
इसके अलावा यहां हवाई मार्ग के माध्यम से भी पुहंचा जा सकता है, खजुराहो वायु मार्ग द्वारा दिल्ली, वाराणसी, आगरा और काठमांडु से जुड़ा हुआ हैं। खजुराहो एयरपोर्ट, शहर से तीन किलोमीटर दूर है।
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खजुराहो और यहाँ के विश्व प्रशिद्ध मन्दिरों के बारे में जानकारी मुझे उम्मीद है यह पोस्ट पढ़कर आपको khajuraho mandir कुछ अच्छी जानकारी जरूर मिली होगी। आपने हमे इतना समय दिया आपका बहुत धन्यवाद।