लालच बुरी बला हैं, इस विषय पर आपको बहुत सारी हिंदी कहानियाँ पढ़ने को मिलेंगी ,और मिले भी क्यू न यह विषय है ही ऐसा, जो हमे जीवन में नैतिकता का पाठ पढ़ता है। इस lalach buri bala hai कहानी और इस जैसी न जाने कितनी ही कहनियाँ है जिसे सुनकर हम तो सीख ले ही सकते है अपितु अपने छोटे बच्चों को ऐसी कहनियाँ सुनकर उन्हें भी नैतिकता का संदेश देकर उनके लिए एक अच्छी मानसिकता और अच्छे अनुभव के विकाश के साथ अच्छे व बुरे कि समझ भी बढ़ा सकते है।
lalach buri bala hai, जिसका अर्थ हैं जो लालच करता हैं उसे नुकसान भुगतना पड़ता हैं | किसी भी वस्तु की चाह होने और उसकी लालच होने में बहुत फर्क होता हैं |
चाह में व्यक्ति उस वस्तु के लिए मेहनत करता हैं लेकिन जिसे लालच होता हैं वो उस वस्तु को पाने के लिए बुरे कर्म तथा प्रपंच का सहारा लेता है। जिसमे वो दूसरा का अहित करने से भी नहीं चुकता |
हिंदी कहानी पोटली का रहस्य
बहुत पहले की बात है, लीनन नाम का एक राज्य हुआ करता था ,उस राज्य के राजा अपनी न्याय प्रियता के लिए प्रसिद्द थे | एक बार की बात है , उसके सामने एक अजीब मामला आया | जिसमे तय कर पाना मुश्किल था कि कौन अपराधी हैं ?
मामला कुछ इस तरह था – एक भिखारी रास्ते से गुजर रहा था तभी उसकी नजर पैसे से भरे एक पोटली पर पड़ी | उसने उसे उठाकर देखा तो उसमे चाँदी कि 100 मोहरे थी | उसने सोचा इसे राजकीय विभाग में दे देना चाहिये | उसके ऐसा सोचते वो वहाँ से निकल पड़ा |
तभी उसे एक व्यक्ति मिला जिसने पोटली देख भिखारी को बोला – यह मेरी पोटली हैं | तुम मुझे लौटा दो | परितोषित के रूप में मैं पोटली में रखे धन का आधा तुम्हे दे दूंगा |
यह सुन भिखारी ने उस राहगीर को पोटली दे दिया | राहगीर कुछ ज्यादा ही चालाक प्रतीत हो रहा था | उसने जैसे ही पोटली को देखा तो कहने लगा इसमें दो सो मुहरे थी | इसका मतलब सो तुमने पहले ही ले ली | अब मुझे तुम मेरी सो मुहरे लौटा दो |
भिखारी को बहुत गुस्सा आया | भिखारी की नियत में खोट ना था इसलिए उसने राजा के पास न्याय के लिए जाना स्वीकार किया | दोनों राजा के दरबार गये और पूरा किस्सा राजा को विस्तार से सुनाया गया |
राजा ने कुछ देर सोचा और विचार कर तय किया कि राहगीर ही गलत हैं क्यूंकि भिखारी को तो आधे धन की भी लालसा नहीं थी वो तो राजकीय विभाग में मुहरे देने जा रहा था |
जिस तरह से रास्ते में राहगीर ने यह सौदेबाजी की हैं | मतलब वो इस पोटली में रखी धन राशि के बारे में जानता था | यह पोटली उसी का हैं लेकिन उसके मन में लालच आ गया और उसने परिस्थिती का फायदा उठाने और अधिक धन पाने की लालच में यह सब रचा |
राजा ने उसे सबक सिखाने के लिए न्याय के रूप में पोटली का आधा धन भिखारी को दिया और आधा राजकोष में दे दिया | और उस राहगीर से कह दिया गया कि यह पोटली उसका नहीं हैं | जब उसका पोटली मिलेगा उसे दे दिया जायेगा | इस तरह राहगीर को लालच के फलस्वरूप खुद का धन भी वापस ना मिला |
इसलिए बड़े बुजुर्ग कहते हैं लालच बुरी बला है. किसी भी चीज को पाने की मंशा में अच्छे बुरे का ध्यान न रखना ही लालच का भाव हैं | जिस वस्तु पर आपका कोई अधिकार ना हो उसे पाने की चाह भी लालच का स्वरूप हैं | इस भाव से सदैव दूर रहे
लालच का भाव ही मनुष्य को अहित के मार्ग पर ले जाता हैं | लालच में उसे सही गलत का भान नहीं रहता | उसे बस पाने की चाह होती हैं | ऐसे में वो एक अंधे रास्ते पर इतना अन्दर तक चला जाता हैं कि जब उसे गलती का पता चलता हैं तब वो वापस भी नहीं लौट पाता |
इसलिए कहते हैं लालच बुरी बला हैं, कहावतें अपने छोटे स्वरूप में भी अथाह ज्ञान को लिए होती हैं | इस तरह कहावतो पर बनी कहानी पढ़कर या सुनाकर आप अपने बच्चो को सही गलत का ज्ञान दे सकते हैं| ऐसी कहानियाँ सदैव यादों में जगह बना लेती हैं और मनुष्य को मार्गदर्शन देती हैं |
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