पुष्यमित्र शुंग कौन था और कैसे उसने शुंग वंश कि स्थापना की जानें यहाँ – Useful Gyan

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पुष्यमित्र शुंग कौन था, और उसने कैसे शुंग वंश की स्थापना की थी के बारे में आपको इस पोस्ट में जानकारी मिलेगी। इसके अलावा आप यह जानेगें कि उसकी राजधानी का नाम क्या था और वे किस प्रदेश के निवासी थे। तो चलिए जानते है कि पुष्यमित्र शुंग कौन था।

पुष्यमित्र शुंग कौन था

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पुष्यमित्र शुंग, शुंग वंश का संस्थापक और प्रथम राजा था। ब्राम्हण वंश में जन्मे पुष्यमित्र शुंग पहले मौर्य सम्राट बृहद्रथ का सेनापति था जिसके हाँथ में पूरी मगध सेना की कमान थी। कई सैन्य अभियानों में पुष्यमित्र शुंग ने अपनी वीरता का प्रदर्शन किया। और अपनी सेना के एक मजबूत सेना नायक के रूप में अपनी एक मजबूत ख्याति बनाई।

पुष्यमित्र शुंग ने ऐसे कि शुंगवंश की स्थापना

पुष्यमित्र शुंग ने अन्तिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या करके शुंग वंश की स्थापना 185 ई. पूर्व की थी। शुंग उज्जैन प्रदेश के निवासी थे तथा उन्होंने अपनी राजधानी विदिशा को बनाया था। ऐसा कहा जाता है कि बृहद्रथ की नीतियों से पूरी जनता परेशान थी।

इस समय बौद्ध धर्म का ही प्रभाव था। कई बौद्ध मठ देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो गए थे जिस कारण बृहद्रथ को उसकी प्रजा पसंद नहीं करती थी। जिसका लाभ उठाकर पुष्यमित्र ने बृहद्रथ की हत्या कर शासन अपने हाथों में ले लिया। 

शुंग वंश प्राचीन भारत का पहला ब्राम्हण वंश था इस वंश के काल को वैदिकी धरम अवं संस्कृत जागरण का काल मन जाता है। पुष्यमित्र शुंग के पुरोहित पतंजती थे जिनकी रचना महाभस्य थी। आपको बता दें कि कुछ बोध ग्रन्थ पुष्यमित्र शुंग को बोध धरम का उत्पीड़क मानते है।

पुष्यमित्र की मृत्यु (148 इ.पू.) के पश्‍चात उसका पुत्र अग्निमित्र शुंग वंश का राजा हुआ। वह विदिशा का उपराजा था। उसने कुल 8 वर्षों तक शासन किया।

पुष्यमित्र शुंग का विजय अभियान

पुष्यमित्र शुंग के समय कई विदेशी आक्रमण हुए। पुष्यमित्र शुंग के राजा बन जाने के बाद मगध साम्राज्य को बहुत बल मिला जो राज्य मगध की आधीनता त्याग चुके थे उन्हें पुष्यमित्र शुंग ने पुनः अपने आधीन कर लिया। पुष्यमित्र शुंग ने विजय अभियानों से साम्राज्य का विस्तार किया।

विदर्भ की विजय => विदर्भ का शासक यज्ञसेन था यह मौर्यों की तरफ से विदर्भ के शासन पद पर नियिक्त हुआ था। परन्तु उसने मगध की दुर्बलता का लाभ उठाकर स्वम को विदर्भ का स्वतंत्र सगसक घोषित कर लिया।

यवनो का आक्रमण => पुष्यमित्र शुंग के समय यवनो का आक्रमण हुआ था इसका वर्णन कालिदास की मालविकाग्निमित्रं में मिलता है। यवनों को मध्य देश से निकालकर सिन्धु के किनारे तक खदेड़ दिया।

पुष्यमित्र शुंग के बारे में कुछ जानकरी

* परन्तु पुष्यमित्र शुंग ने साँची के स्तूप के चारो और वैदिक मतलब रेलिंग का निर्माण कराया था।
* अयोध्या से प्राप्त्य अभिलेख से पता चला है की पुष्यमित्र शुंग ने दो अश्व मेघ यज्ञ तथा एक राजसूय यज्ञ करवाया था। इन यज्ञों का विवरण मालविकाग्निमित्रम में मिलता है।
* पुष्यमित्र सुंग ने सतना में भरहूत स्तूप का निर्माण कराया था।
* शुंग वंश का अगला शासक अग्नि मित्र था।
* अग्निमित्र और इसकी प्रेमिका मालविका की प्रेमगाथाओं का वर्णन कालिदास की रचना मालविकाग्निमित्र में मिलता है।
* इस वंश के शासक भागभद्र के समय यूनानी शासक एंटीलिया फीड्स का राजदूत हेलियोडोरस आया जिसने विदिशा में गरुण स्तम्भ की स्थापना की।
* शुंग वंश के समय ही भगवत वंश धरम का उदय हुआ इस वंश का अंतिम शासक देवीभूति था। जिसकी हत्या वासुदेव कण्व के द्वारा कर दी गई थी तथा तथा वासुदेव कण्व ने कण्व वंश की स्थापना की थी।
* अयोध्या अभिलेख तथा कल्यायन की गार्गी सहित से ज्ञात होता है की शुंग काल में यूनानी आक्रमण हुए थे तथा मनु स्मृति का निर्माण शुंग काल में हुआ था।

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