Rambriksh benipuri ka jeevan parichay विचारों से क्रान्तिकारी तथा राष्ट्रसेवा के साथ-साथ साहित्य सेवा में संलग्न श्री रामवृक्ष बेनीपुरी जी हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि हैं। उनका सहित्य के अलावा पत्रकरिता में भी विशेष योगदान रहा श्री रामवृक्ष बेनीपुरी जी एक अच्छे लेखक, पत्रकार, कवि, नाटककार, निबंधकार, उपन्यासकार, राजनीतिज्ञ, होने के साथ साथ एक स्वतंत्रता सेनानी भी थे।
Rambriksh benipuri ka jeevan parichay के इस लेख में हम रामवृक्ष बेनीपुरी की रचना, रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखित नाटक और उनकी भाषा शैली? बारे में संछिप्त जानकरी प्राप्त करेंगे।
Rambriksh benipuri ka jeevan parichay
पूरा नाम | रामवृक्ष बेनीपुरी |
जन्म तिथि | 23 दिसंबर 1899 |
जन्म स्थान | बेनीपुर गांव, मुजफ्फरपुर (भारत) |
पिता का नाम | फूलवन्त सिंह |
माता का नाम | ज्ञात नही |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
व्यवसाय | लेखक, पत्रकार, कवि, नाटककार, निबंधकार, उपन्यासकार, राजनीतिज्ञ, |
साहित्यिक आंदोलन | भारत छोड़ो आंदोलन, किसान महासभा, जनो तोडो अभियान |
पुरस्कार | राष्ट्रभाषा परिषद की ओर से साहित्य में योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड |
मृत्यु तिथि | 7 सितंबर 1968 |
रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म सन् 1902 ई. में बिहार के अन्तर्गत मुजफ्फरपुर जिले में हुआ था। राष्ट्र के प्रति अनन्य निष्ठा रखने वाले बेनीपुरी ने अध्ययन पर विराम लगाकर राष्ट्रसेवा का व्रत लिया
उन्होंने गाँधीजी के साथ असहयोग आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। वे मैट्रिक की परीक्षा पास करने से पहले 1920 ई. में वे महात्मा गाँधी के असहयोग आन्दोलन में कूद पड़े । भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सक्रिय सेनानी के रूप में आपको 1930 ई. से 1942 ई. तक का समय जेल में ही व्यतीत करना पड़ा। इसी बीच आप पत्रकारिता एवं साहित्य-सर्जना में भी जुड़े रहे।
राष्ट्रसेवा कार्य करते हुए ही रामवृक्ष बेनीपुरी जी 17 सितम्बर, सन् 1968 ई.को मृत्यु के रथ पर सवार हो परम धाम को प्राप्त हुए।
रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाएं

रामवृक्ष बेनीपुरी की रचनाएँ – पैरों में पंख बाँधकर (यात्रा साहित्य), माटी की मूरतें (रेखाचित्र), जंजीर और दीवारें (संस्मरण), गेहूँ बनाम गुलाब (निबन्ध)।
- रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखित नाटक:-
अम्बपाली -1941-46
सीता की माँ -1948-50
संघमित्रा -1948-50
अमर ज्योति -1951
तथागत
सिंहल विजय
शकुन्तला
रामराज्य
नेत्रदान -1948-50
गाँव के देवता
नया समाज
विजेता -1953.
बैजू मामा, नेशनल बुक ट्र्स्ट, 1994
शमशान में अकेली अन्धी लड़की के हाथ में अगरबत्ती – 2012
रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा लिखित संस्मरण तथा निबन्ध-
- पतितों के देश में -1930-33
- चिता के फूल -1930-32
- लाल तारा -1937-39
- कैदी की पत्नी -1940
- माटी -1941-45
- गेहूँ और गुलाब – 1948–50
- उड़ते चलो, उड़ते चलो
- मील के पत्थर
रामवृक्ष बेनीपुरी जी की भाषा शैली?
भाषा-इनकी भाषा प्रवाहपूर्ण, सरस तथा ओजमयी है। संस्कृत, उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग भाषा में किया है। भाषा शुद्ध साहित्यिक हिन्दी है।
शैली- बेनीपुरी जी की शैली सरल, सरस तथा हृदयस्पर्शी है। शैली कहीं-कहीं विश्लेषणात्मक तो कहीं अन्वय व्याख्यात्मक रूप भी लिए हुए है। शैली में लालित्य का भी समन्वय है। वाक्य दीर्घ न होकर लघु हैं, जिससे भाषा में चार चाँद लग गये हैं। बेनीपुरी जी के निबन्धों में जीवन के प्रति अगाध निष्ठा व आशा के स्वर मुखरित हैं। शब्द शिल्पी रामवृक्ष बेनीपुरी की शैली का चमत्कार एवं प्रभाव उनकी कृतियों में विद्यमान है।
साहित्य में स्थान- बेनीपुरी जी हिन्दी साहित्य की अपूर्व निधि हैं। उनके साहित्य में आदर्श कल्पना एवं गहन चिन्तन का समन्वय है। सम्पादक के रूप में भी आपका विशिष्ट योगदान है।
आपकी शैली काव्यात्मक तथा मनभावन है। प्रसाद तथा माधुर्य गुण से सम्पन्न हैं। आप ऐसे साहित्यकार थे जिनके कण्ठ में कोमल तथा माधुर्य पूर्ण स्वर,मस्तिष्क में अपूर्व कल्पना शक्ति तथा हृदय में भावना का समुद्र हिलोरें ले रहा था। उनकी कविताएँ नेत्रों के समक्ष चित्र प्रस्तुत करने में सक्षम हैं।
रामवृक्ष बेनीपुरी का सम्मान
रामवृक्ष बेनीपुरी के सम्मान में भारत सरकार ने 1999 में एक डाक टिकट जारी किया।
दिनकर जी ने एक बार बेनीपुरी जी के विषय में कहा था, “स्वर्गीय पंडित रामवृक्ष बेनीपुरी केवल साहित्यकार नहीं थे, उनके भीतर केवल वही आग निहित थी जो कलम से निकल कर साहित्य बन जाती है।
वे उस आग के भी धनी थे जो राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को जन्म देती है, जो परंपराओं को तोड़ती है और मूल्यों पर प्रहार करती है। जो चिंतन को निर्भीक एवं कर्म को तेज बनाती है।
बेनीपुरी जी के भीतर बेचैन कवि, बेचैन चिंतक, बेचैन क्रान्तिकारी और निर्भीक योद्धा सभी एक साथ निवास करते थे।” 1999 में भारतीय डाक सेवा द्वारा बेनीपुरी जी के सम्मान में भारत का भाषायी सौहार्द मनाने हेतु भारतीय संघ के हिन्दी को राष्ट्र-भाषा अपनाने की अर्ध-शती वर्ष में डाक-टिकटों का एक सेट जारी किया। उनके सम्मान में बिहार सरकार द्वारा वार्षिक अखिल भारतीय रामवृक्ष बेनीपुरी पुरस्कार दिया जाता है।
FAQ,s
रामवृक्ष बेनीपुरी से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब।
प्रश्न:- रामवृक्ष बेनीपुरी की किताबें
उत्तर:- रामवृक्ष बेनीपुरी की कुछ किताबें हैं – चट्टान की खून, समर सेनानी, माया, कलयुग का रावण, जले हुए भाग आदि।
प्रश्न:- रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म कहाँ हुआ था
उत्तर:- रामवृक्ष बेनीपुरी का जन्म 23 दिसंबर 1899 को बेनीपुर गांव, मुजफ्फरपुर भारत में हुआ था।
प्रश्न:- रामवृक्ष बेनीपुरी किस विधा के लिए प्रसिद्ध है
उत्तर:- रामवृक्ष बेनीपुरी अपनी गद्य-विधाओं के लिए प्रसिद्ध है।
प्रश्न:- रामवृक्ष बेनीपुरी के निबंध कौन से है
उत्तर:- पतितों के देश में, गेहूँ और गुलाब, मील के पत्थर आदि।
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