सतयुग के राजा कौन थे – सतयुग का अंत कैसे हुआ और सतयुग के अवतार

सतयुग के राजा कौन थे - सतयुग का अंत कैसे हुआ और सतयुग के अवतार

सतयुग के राजा कौन थे और सतयुग का अंत कैसे हुआ:-  सतयुग 17 लाख 28,000 वर्ष का माना गया है इस युग में ही भगवान विष्णु चार अवतार लिए थे। ऐसा माना जाता है की सतयुग में पाप बिलकुल ना के बराबर था, सतयुग में धरती पर पाप नहीं था। हिंदू धर्म अनुसार कुल चार युग बताए गए हैं, सतयुग, त्रेता युग, द्रापर और कलियुग। इन चार युग के बारे में हमारे सभी प्राचीन शास्त्रों में भी वर्णन मिलता हैं। वर्तमान समय में अभी कलियुग चल रहा हैं, सतयुग, त्रेता युग और द्रापर युग बीत चुके हैं।

ऐसी मान्यता है कलियुग की अवधि खत्म होने के बाद धरती पर सबकुछ खत्म हो जाएगा और एक बार फिर से नये जीवन की पृष्ठभूमि तैयार होगी। इस पोस्ट में हम आपको सतयुग का अंत कैसे हुआ था? सतयुग के राजा कौन थे, सतयुग के पहले क्या था और सतयुग के अवतार, के बारे में जानकारी देने जा रहे है। तो यदि आपको भी सतयुग से जुडी जानकारी पढ़ना है तो अंत तक बने रहें।

सतयुग के राजा कौन थे

सतयुग के राजा कौन थे इस बारे में हमें हिंदू पौराणिक कथाओं में कुछ सतयुग में कुछ राजाओं का उल्लेख मिलता है जो धर्म और न्याय के पालन के लिए जाने जाते थे। पौराणिक कथाओं के अनुसार सतयुग के राजा में स्वायम्भुव मनु उनके बाद सत्यव्रत मानु का नाम प्रथम आता है। इसके बाद राजा पृथु भी सतयुग के राजा हुए। आपको पृथु और आर्ची की कहानी जरूर पढ़नी चाहिए।

सतयुग के राजा कौन थे - सतयुग का अंत कैसे हुआ और सतयुग के अवतार

इस युग में मनुष्यों का जीवन सबसे उच्चकोटी का था सभी लोग ईश्वर के प्रति प्रेम और श्रद्धा रखते थे और धर्म का पालन करते थे। सतयुग में राजाओं की शक्ति धर्म और न्याय के आधार पर थी। सतयुग का युग तप, सत्य, पवित्रता, दयालुता और दान का युग था सभी धर्मपरायण आचरण किया करते थे इस युग के लोगों का जीवन काल सभी युगों में सबसे ज्यादा था इस युग में लोग तप और ध्यान अधिक करते थे।

सतयुग का अंत कैसे हुआ

सतयुग का अंत कैसे हुआ यह बिल्कुल सटीक कहना तो मुश्किल ही होगा लेकिन इससे जुडी हुई कई पौराणिक कथाएँ हैं। और सतयुग का अंत कैसे हुआ इस बारे में काफी मतभेद भी हैं। सतयुग के अंत का प्रारंभ भगवान विष्णु के नरसिंग अवतार की लीला समाप्त होने के बाद से ही हो गया था और भगवन परशुराम को महादेव जी द्वारा दिए शारंग घनुष के टूटने के पश्चात पूर्ण रुप से सतयुग का अंत और त्रेता युग का आरंभ हुआ।

सतयुग के पहले क्या था

सतयुग के पहले इस सारी सृष्टि का सृजन प्रारंभ श्री ब्रम्हा जी से किया सतयुग के पहले ब्रम्हांड का जन्म प्राम्भ हो गया था लेकिन इसमें कुछ भी नहीं था। श्री ब्रम्हा जी की इक्छा अनुसार सारी सृष्टि और फिर इन सभी सृष्टिों में युगों का प्रारंभ हुआ। जैसा की सभी जानते है की सबसे पहले सतयुग प्रारंभ हुआ था फिर त्रेता और उसके बाद द्वापर अभी वर्तमान में कलयुग चालू है।

इस कलयुग का अंत भगवान विष्णु के १० वे अवतार कल्कि के द्वारा निश्चित है। भगवान कल्कि के अवतार के बाद वह इस युग का अंत करेंगे जिसमें उनकी मदद सात चिरंजीवी करनेगें। क्या आप इन सात चिरंजीवी के बारे में जानते या जानना चाहते है। यदि आप इन सात चिरंजीवी के बारे में विस्तार में जानना चाहते है की ये सात चिरंजीवी कौन हैं तो हम इस पर एक अलग पोस्ट बना देंगें जिनमें आपको इन सात चिरंजीवीयों के बारे में जानकारी होगी।

सतयुग के अवतार

सतयुग के अवतार – भगवान श्री हरी विष्णु ने हर युग में अवतार लिए है और अपनी लीलाएं दिखाई है। सतयुग में प्रभु ने सबसे पहले मत्स्यावतार अवतार धारण किया और एक मछली का रूप धारण किया। सतयुग के अवतार में भगवान श्री हरी का दूसरा अवतार कूर्मावतार था, जो कछुआ के रूप में प्रकट हुआजब सागर मंथन किया जाने वाला था। सागर मंथन से ही 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी जिसमें एक ऐरावत भी थे।

ऐरावत कौन हैं क्या आप जानते है? यदि नहीं जानते तो अभी पढ़ें ऐरावत की उत्पत्ति कैसे हुई।  तीसरे अवतार में भगवन वराह रूप में अवतार धारण किया और प्रथ्वी के कष्ट हरे। इसके बाद भगवन ने नरसिंग अवतार माना जाता है जो आधे मानव और आधे नर के रूप में अवतरित हुए थे। सतयुग में अवतारों की संख्या अलग-अलग धर्म ग्रंथों और कथाओं में भिन्न हो सकती है।