सुमित्रानंदन पंत:- नमस्ते दोस्तों इस पोस्ट में सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय के बारे में आपको इस पोस्ट में जानकरी प्राप्त होगी। सुमित्रानंदन पंत जी का हिंदी साहित्य के इस इतिहास में अद्वत योगदान रहा है। सुमित्रानंदन पंत जी ने अपनी कलम की ताकत से इस समाज में व्याप्त कई कुरीतियों पर प्रहार कर उन्हें नस्ट करने की चेस्टा की है।
आगे आप इस पोस्ट में सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ, सुमित्रानंदन पंत किस युग के कवि थे और सुमित्रानंदन पंत के महाकाव्य का क्या नाम है के बारे में भी जानेगें। यदि आपकी रूचि भी साहित्य में है तो, हमारे इस पोस्ट सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय को पूरा जरूर पढ़ें आपको इनके बारे में काफी अच्छी जानकरी मिलने वाली है।
सुमित्रानंदन पंत
सुमित्रानंदन पंत जी का हिंदी साहित्य के छायावादी युग के महान कवियों में से एक माने जाते हैं। केवल 7 वर्ष की अल्पायु से ही सुमित्रानंदन पंत ने कविताएं लिखना प्रारंभ कर दिया था। सुमित्रानंदन पंत जी की शुरुवाती शिक्षा अल्मोड़ा में ही हुई। सुमित्रानंदन पंत का जीवन बहुत कठिनाईयों भरा रहा लेकिन ये अपने कर्तव्य पथ से तनिक भी न डिगे। सुमित्रानंदन पंत के इसी समर्पण के कारण इन्हे कई पुरुस्कार जिनमे भारतीय ‘ज्ञानपीठ’ पुरस्कार और भारत सरकार द्वारा इन्हे ‘पदम भूषण’ की उपाधि से भी अलंकृत किया।
सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय
सुमित्रानंदन पंत जी का जन्म 1920 में अल्मोड़ा नामक जिले के कौसानी ग्राम में हुआ था। सुमित्रानंदन पंत जी आपने सभी भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। सुमित्रानंदन पंत जी के बचपन का नाम गोसाई दत्त था।
सुमित्रानंदन पंत जी के पिता का नाम गंगा दंत पंथ था और उनकी माता का नाम सरस्वती देवी था। पंत को प्रकृति का चित्र चोर कवि कहा जाता है।

वर्ष 1922 से 1930 तक पंत की जो रचनाएँ प्रकाश में आई वह उनके छायावादी काव्य की रचनाएं मानी जाती है।
पल्लव, वीणा ग्रंथि और गुंजन आदि रचनाओं का प्रकाशन कवि की काव्य साधना के नवीन रूप को उद्घाटित करता है जो प्रकृति और मानव सौंदर्य के प्रति कवि की काव्य चेतना का सूचक है।
पंत का कृतित्व हिंदी साहित्य के आधुनिक चेतना का प्रतीक है, जो जीवन मूल्यों के निर्माण की ओर अग्रसर है।
उत्तरा युगपथ, स्वर्णधूलि, स्वर्ण किरण आदि रचनाएं उनके जीवन चिंतन को एकांगी ना बनाकर सार्वभौमिक दृष्टि से युगधर्म के सामाजिक और नैतिक पहलुओं के साथ आध्यात्मिक चेतना को उद्घाटित करती है।
जैसा कि सभी को पता है हिंदी साहित्य का भारतीय इतिहास में अमूल्य योगदान रहा है। भारत भूमि पर ऐसे कई लेखक और कवि हुए हैं जिन्होंने अपनी कलम की ताकत से समाज सुधार के कार्य अनेकों कार्यों के अलावा देश प्रेम के राग भी छेड़े है।
उन्ही में से एक रचनाकार कवि सुमित्रानंदन पंत जी है। पंत को प्रकृति का चित्र चोर कवि कहा जाता है।
नाम | सुमित्रानंदन पन्त |
अन्य नाम | गोसाई दत्त |
जन्म | 20 मई 1900 |
जन्म स्थान | कौसानी गांव |
पिता का नाम | पंडित गंगा दंत पंथ |
माता का नाम | सरस्वती देवी |
प्रमुख रचनाएं | सत्यकाम, पल्लव, चिदंबरा, युगवाणी, शिल्पी |
मृत्यु | 1977 इलाहाबाद |
सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएं?
सुमित्रानंदन पंत जी ने अनेक प्रकार की विधा में अपनी रचना को लिखा है, जिसमें से हम आपको कुछ रचनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि नीचे निम्नलिखित है:
सुमित्रानंदन पंत कविता संग्रह:- पल्लव, युगांतर, स्वर्ण धूलि, कला और बूढ़ा चांद, मुक्ति यज्ञ, युगवाणी, सत्य काम, ग्रंथि, ज्योत्सना, शिल्पी
सुमित्रानंदन पंत खंडकाव्य:- अवंगुठित, मेघनाथ वध, राजशेखर
सुमित्रानंदन पंत नाटक:- रजतरश्मि, शिल्पी, ज्योत्सना।
सुमित्रानंदन पंत उपन्यास:- हार
सुमित्रानंदन पंत की भाषा शैली
भाषा शैली :- इनकी भाषा में कमल कांत पदावली से युक्त सहज खड़ी बोली में पद लालायित का गुण विद्यमान है पंत जी की शैली में छायावादी काव्य शैली की समस्त विशेषताएं पर्याप्त रूप से विद्यमान है इन के काव्य में सौंदर्य एवं कल्पना के विविध रूपों का समावेश मिलता है।
इन्होंने गीतात्मक शैली अपनाई। सरलता, मधुरता, चित्रात्मकता, कोमलता और संगीतात्मकता इनकी शैली की प्रमुख विशेषताएं हैं।
सुमित्रानंदन पंत जीवन परिचय, भाषा शैली एवं रचनाएँ से जुड़े कुछ सवाल जवाब FAQ .
Q.- सुमित्रानंदन पंत की प्रमुख रचनाएं कौन कौन सी है?
Ans:- सुमित्रानंदन पंत की कुछ अन्य काव्य कृतियाँ हैं – ग्रन्थि, गुंजन, ग्राम्या, युगांत, स्वर्णकिरण, स्वर्णधूलि, कला और बूढ़ा चाँद, लोकायतन, चिदंबरा, सत्यकाम आदि।
Q.- सुमित्रानंदन पंत की प्रथम रचना कौन सी है?
Ans:- रश्मि’ कविता 1919 में लिखी गयी थी।
Q.- सुमित्रानंदन पंत का असली नाम क्या है?
Ans:- गुसाईं दत्त।
Q.- सुमित्रानंदन पंत को कौन सा पुरस्कार मिला था?
Ans:- ज्ञानपीठ पुरस्कार
Q.- सुमित्रानंदन पंत की कौन सी भाषा है?
Ans:- इनकी भाषा में कमल कांत पदावली से युक्त सहज खड़ी बोली में पद लालायित का गुण विद्यमान है।
सुमित्रानंदन पंत का जीवन परिचय हमने आपको इस लेख ले माध्यम से बताया। हमने इस लेख में आपको संछिप्त में आपको सारि जानकारी प्रदान की है उम्मीद है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।
आपने हमें इतना समय दिया आपका बहुत धन्यवाद।
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