तीजन बाई:- इस लेख में आप teejan bai पंडवानी और तीजन बाई का बायोडाटा के बारे में जानेंगे और साथ ही हम आपको तीजन बाई का जीवन परिचय एवं तीजनबाई को मिले इनाम के बारे में भी जानकारी प्रदान करनेगें।
तीजन बाई भारत की प्रख्यात पंडवानी गायिका और पंडवानी (Pandwani) को अंतरस्तरीय स्तर पर ख्याति दिलाने वाली मे से एक है। महाभारत की कथा को पंडवानी कथा गायन के जरिए देश और दुनिया के सामने लाने वाली प्रशिद्ध छत्तीसगढ़ी कलाकार हैं तीजन बाई। तीजनबाई की आयु अब 66 years हो गई है।
तीजन बाई (teejan bai)
teejan bai ka sambandh pandwani lokkala se hai छत्तीसगढ़ की पंडवानी कथा गायिका डॉक्टर तीजन बाई को हाल ही में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। तीजन बाई यह सम्मान पाने वाली छत्तीसगढ़ की प्रथम नागरिक हैं। इससे पहले भारत सरकार उन्हें ने पद्म भूषण और पद्मश्री से सम्मानित किया है। छत्तीसगढ़ की प्राचीन गायकी कला पंडवानी देश-विदेश तक पहुंचाने का श्रेय तीजन बाई को ही जाता है।
Tijan Bai का जन्म 24 अप्रैल1956 को छत्तीसगढ़ राज्य के भिलाई जिले के अंतरगत आने वाले ग्राम गनियारी में हुआ है। इनका बचपन उसी गांव में बीता। तीजन बाई के पिता का नाम हुनुकलाल और माताजी का नाम सुखमती है।
Tijan Bai का विवाह इनके दल के हारमोनियम वादक तुलसीराम देशमुख से हुआ है जिसमें से इनके तीन बेटे बेटियां हैं जो अभी एक साथ भिलाई छत्तीसगढ़ में रहती है। कहा जाता है की इनका यह दूसरा विवाह है।
तीजन बाई पंडवानी
teejan bai ke pandwani geet की कापालिक शैली की गायिका हैं। छत्तीसगढ़ राज्य के पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार तीजन बाई ही हैं। उन्होंने अपनी कला का प्रदर्शन देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी किया है। एक छोटे से गांव की कलाकार से लेकर पद्म विभूषण तक का उनका सफर आसान नहीं रहा है।
इस सबके पीछे तीजन बाई का कड़ा संघर्ष रहा है। तीजन बाई ने मात्र 13 वर्ष की उम्र मे पंडवानी कथा लोक गीत-नाट्य वचन चालू कर दिया था। ऐसा कहा जाता है कि उस समय की पंडवानी महिला कलाकार बैठकर प्रस्तुति देती थीं। लेकिन तीजन बाई ने इस प्रथा को तोड़ते हुए पुरूषों की तरह पंडवानी गाया। 1980 में उन्होंने सांस्कृतिक राजदूत के रूप में इंग्लैंड, फ्रांस, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, टर्की, माल्टा, साइप्रस, रोमानिया और मारिशस की यात्रा की और वहां पर प्रस्तुतियां दी।
तीजनबाई को मिले इनाम
मिल चुके हैं कई सम्मान
teejan bai awards – Teejan Bai के नाम बहुत सारे पुरूस्कार भी है, जिसमे से पद्मश्री और पद्मभूषण पापुलर पुरूस्कार है, जो Teejan Bai अपने दम पर प्राप्त किया तो चलिये इसके बारे मे विस्तार से जानने का प्रयास करते है । तीजनबाई को भारत सरकार ने 1988 में पद्मश्री सम्मान प्रदान किया।
3 अप्रैल, 2003 को भारत के राष्ट्रपति डॉ॰ अब्दुल कलाम द्वारा पद्म भूषण, मध्यप्रदेश सरकार का देवी अहिल्याबाई सम्मान, संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली से सम्मान, 1994 में श्रेष्ठ कला आचार्य, 1996 में संगीत नाट्य अकादमी सम्मान, 1998 में देवी अहिल्या सम्मान, 1999 में इसुरी सम्मान प्रदान किया गया।
27 मई, 2003 को डीलिट की उपाधि से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्मानित किया गया. डॉ. तीजन बाई बीएसपी में डीजीएम थी, सितंबर 2016 में रिटायर हुई।
2017 में तीजन बाई को खैरागढ़ यूनिवर्सिटी डिलीट की उपाधी दी. संगीत विवि खैरागढ़ में तीजन बाई को डिलीट की उपाधि दी गई थी. 27 मई, 2003 को डीलिट की उपाधि से छत्तीसगढ़ शासन द्वारा सम्मानित किया गया. इसके अलावा महिला नौ रत्न, कला शिरोमणि सम्मान, आदित्य बिरला कला शिखर सम्मान 22 नवम्बर, 2003 को मुंबई में प्रदान किया गया।
तीजन बाई के पास नहीं है कोई औपचारिक शिक्षा।
तीजन बाई छत्तीसगढ़ राज्य के पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार हैं, लेकिन उन्होने कोई भी औपचारिक शिक्षा नहीं ली है। बावजूद इसके 2017 में तीजन बाई को खैरागढ़ यूनिवर्सिटी डिलीट की उपाधी दी. इसके अलावा महिला नौ रत्न, कला शिरोमणि सम्मान, आदित्य बिरला कला शिखर सम्मान से भी इन्हे नवाजा गया है।
तीजन बाई कौन है (Teejan Bai Koun Hai)
तीजन बाई भारत की जानी-मानी पंडवानी गायिका में से एक है इन्होंने अपने पंडवानी के दम पर भारत से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहचान बनाई है।

पंडवानी गायन मे पद्मश्री और पद्मभूषण का पुरस्कार अपने नाम कर चुकी है इनको हम ‘कापालिक शैली’ की पहली महिला पंडवानी गायिका के रूप में जानते हैं ।
इनकी कथा महाभारत (Mahabharat) के ऊपर छत्तीसगढ़ी भाषा में होती है जिसमें मुख्य नायक भीम होता है और पंडवाणी की पूरी कथा महाभारत के इर्द-गिर्द ही घूमती है।
पंडवानी क्या है?(Pandwani Kya Hai)
यह महाभारत में पांडवों की कथा होती है जिसको छत्तीसगढ़ी भाषा में प्रदर्शित किया जाता है। और इस पंडवानी गीत (Pandwani Geet) में प्रमुख नायक भीम होता है और इस कथा में एक गायक, एक रागी, एक वाद्य संगत, तबला वादन करने वाला, हारमोनियम बजाने वाला, मंजीरा, ढोलक बजाने वाला और जो गायक होता है वह स्वयं तंबूरा बजाकर कथा का मंचन करते हैं इसी को हम पंडवानी (Pandwani) कहते हैं।
इस कथा को छत्तीसगढ़ी बोली के माधुर्य के साथ पंडवानी गायिका तीजन बाई अभिनय व गायन के साथ यह बताती हैं की किस तरह चीरहरण के समय द्रौपदी रोई होगी! चिल्लाई होगी! भीम गरजे होंगे ।
इसकी कथा भीम, अर्जुन, कृष्ण, द्रौपदी, नकुल, सहदेव, भीष्म पितामह, दुर्योधन, दुःशासन, गुरु द्रोणाचार्य के इर्द-गिर्द घूमती रहती है।
तीजन बाई का पंडवानी करियर
तीजन बाई ने अपने करियर की शुरुआत मात्र 13 वर्ष की आयु में शुरू की थी, बचपन में जब इनके नानाजी महाभारत की कथा गाते थे। तो उनके साथ कथा सुन-सुनकर तीजन बाई को पूरी कथा एकदम मुखाग्र हो गई थी जिससे इनको महाभारत (Mahabharat) की कथा के ऊपर काफी ज्यादा रोचकता बड़ी और आगे चलकर पंडवानी गीत गाने का संकल्प ले लिया।
इसी के चलते श्री उमेद सिंह देशमुख ने इनको पंडवानी कथा का प्रशिक्षण दिया और 13 वर्ष की आयु में अपनी पहली कथा का मंचन दुर्ग जिले के चंदखुरी नामक गांव में किया था।
आगे चलकर इनकी कथा इतनी ज्यादा पॉपुलर हुई कि लोगों को इनकी कथा सुनने में काफी ज्यादा मजा आने लगा और गांव गांव जाकर अपनी कथा का प्रदर्शन करने लगी।
और कथा का प्रदर्शन ऐसे ढंग से किया कि लोग इनसे मोहित होने लगे जैसे कथा वादन करते समय नाचना कुछ एक्टिंग करना तमूरा बजाना और भी बहुत सारे कलाओं का प्रदर्शन ‘कापालिक शैली’ में करने लगी।
कापालिक शैली का मतलब यह होता है कि कथा का प्रदर्शन करने वाला खड़ा होकर कथा को लोगों के सामने प्रदर्शित करें और जो कथा बैठकर प्रदर्शित की जाती है उसको ‘वेदवती शैली’ कहा जाता है।
तीजन बाई की कुछ रोचक बातें
इनकी सबसे बड़ी रोचक बात यह है कि यह यह भारत की पहली ऐसी महिला है जो पंडवानी (Pandwani Geet) की कथा का मंचन कापालिक शैली में करती है ।
पंडवानी गायिका तीजन बाई ऐसी कलाकारों में से एक है जिन्होंने छत्तीसगढ़ी भाषा में पंडवानी कथा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्रदान की है।
इनकी जीवन (Jivani) के बारे में और रोचक बातें करें तो यह अपने भोजन में एक समय बोरे बासी और चटनी खाती है, बोरे बासी छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध भोजन है जो रात मे पक्का चावल को पानी में डाल दिया जाता है और सुबह उसको पानी के साथ भोजन के रूप में खाया जाता है।
तीजन बाई को अपने पहले विवाह के दौरान अन्य जाति (Cast) में शादी करने के कारण इनको अपने पारधी जनजाति से निष्कासित कर दिया गया है।
Teejan Bai की और रोचक बातें करें तो हाल ही में समाचार सुनने को मिला है कि तीजन बाई के जीवन परिचय को लेकर भारत की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड में इनके ऊपर बायोपिक (Documentary) बनने वाली है जिसमें विद्या बालन मुख्य किरदार निभाने जा रही है।
तीजन बाई FAQ,s
तीजन बाई से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब –
प्रश्न:- तीजन बाई का जन्म कब हुआ
उत्तर:- तीजन बाई का जन्म 24 अप्रैल1956 को छत्तीसगढ़ राज्य के भिलाई जिले के अंतरगत आने वाले ग्राम गनियारी में हुआ है। इनका बचपन उसी गांव में बीता। तीजन बाई के पिता का नाम हुनुकलाल और माताजी का नाम सुखमती है।
प्रश्न:- तीजन बाई की प्रसिद्ध किस क्षेत्र में है
उत्तर:- तीजन बाई पंडवानी गायन के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न:- तीजन बाई को कौन सा पुरस्कार मिला
उत्तर:- पंडवानी गायन मे पद्मश्री और पद्मभूषण का पुरस्कार अपने नाम कर चुकी है। इनके अलावा आपको पद्म भूषण, मध्यप्रदेश सरकार का देवी अहिल्याबाई सम्मान, संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली से सम्मान आदि मिल चुके हैं।
प्रश्न:- तीजन बाई एजुकेशन
उत्तर:- तीजन बाई छत्तीसगढ़ राज्य के पंडवानी लोक गीत-नाट्य की पहली महिला कलाकार हैं, लेकिन उन्होने कोई भी औपचारिक शिक्षा नहीं ली है।
प्रश्न:- तीजन बाई किस लोकगीत से संबंधित है
उत्तर:- तीजन बाई पंडवानी गायन से संबंधित है। तीजन बाई कापालिक शैली’ की पहली महिला पंडवानी गायिका हैं। इनकी कथा महाभारत के ऊपर छत्तीसगढ़ी भाषा में होती है जिसमें मुख्य नायक भीम होता है और पंडवाणी की पूरी कथा महाभारत के इर्द-गिर्द ही घूमती है।
तो ये रही हमारे द्वारा दी गयी पूरी जानकारी (Jeevan Parichay) तो आपको Teejan Bai Biography In Hindi अच्छी लगी तो हमे कॉमेंट मे जरूर बताए और हो सके तो अपने दोस्तो के साथ शेयर करे ।
यह भी पढ़ें:-