Yoga kya hai – योग का सीधा सा मतलब होता है जोड़ना या मिलाना। योग को योग क्यू कहा गया क्यूकि योग मिलाने का काम करता है। मन को चेतना से, Body को मन से और अंदर को बहर से मिलता है इसलिए इसे योग कहते हैं।
आज के Time में ज्यादा तर लोग जिस योग को जानते है वो योग नहीं अपितु पूरे योग का मात्र छोटा सा हिस्सा है। Yoga के बारे में सुनते ही Brain में सबसे पहला Thought आता है की Yoga शरीर का व्याम है,
एक ख़ास तरीके से बैठना, एक ख़ास तरीके से झुकना, एक ख़ास तरीके से साँस लेना, और कुछ अलग तरह से शरीर को मोड़ना, और कुछ बहुत सारी चीजने करना लोग इसे ही योग कहने व समझने लगे हैं।
और एक बात जो योग के बारे में लोग समझते है की Yoga केवल हिन्दू धर्म के लोगे के लिए बनाया गया था जो की बिलकुल गलत है। Yoga उन सभी लोगो के लिए है जो इस दुनिया में हैं।

योग की उत्पत्ति या रचना कब हुई ?
योग का इतिहास बहुत ही पुराना है। लगभग 2500 वर्ष पहले ऋषि पतंजलि ने एक ग्रन्थ की रचना की जिसे उन्होंने 4 भागो में बाटा। जिसे उन्होंने योग दर्शन नाम दिया। इस योग दर्शन में पहला भाग समाधीपाद, दूसरा साधनापाद, तीसरा भाग विभूतिपाद और चौथा केवल्यपाद है। तो अष्टांग योग साधनापाद का केवल एक भाग मात्र है। जिस के अंतर्गत Yoga Aasan आते हैं।
योग के अंग:- ऋषि पतंजलि ने 8 प्रकार के Yoga के अंग बताये हैं। यम, नियम, आसन, प्रणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधी।
सावधानी -: किसी को कोई भी Yoga तब तक नहीं करना चाहिए जब तक आप के साथ योग में दक्ष गुरु ना हो। और जब तक वह दक्ष गुरु आप को Yoga Aasan अकेले खुद से करने की अनुमति न दे तब तक आप खुद अपने से Yoga Aasan न करें। और गुरु हमेसा दक्ष (EFFICIENT) होना चाहिए न की प्रोफेसनल।
The Conclusion-: मेरे इस Post का निष्कर्ष केवल यही है, की योग केवल व्यायाम नहीं है। योग मोक्छ का द्वार भी खोलता है। जिससे पार होकर आत्मा ब्रह्म:वत को भी पा सकती है।